तीसरा खंबा

दहेज लेने देने की शिकायत केवल अपराध होने से एक वर्ष की अवधि में ही की जा सकती है।

समस्या-

मेरे ऊपर धारा 498a आईपीसी तथा घरेलू हिंसा अधिनियम में प्रकरण लंबित हैं, साक्ष्य हो चुकी है, साक्ष्य में उन्होंने दहेज देना स्वीकार किया है, दहेज देना अपराध है, कार्यवाही कैसे हो उन पर?

-रामकिशोर, मारवाड़ी का बाग, उनाव रोड, जिला दतिया, मध्य प्रदेश

समाधान-

हेज प्रतिषेध अधिनियम 1961 के अंतर्गत दहेज लेना और दहेज देना तथा दहेज लेने या देने के लिए प्रतिज्ञा या संविदा करना अपराध है। इस अपराध के लिए अभियुक्त को अपराध साबित हो जाने पर छह माह तक का कारावास और 5 हजार तक के जुर्माने का दंड दिया जा सकता है। यह अपराध जमानतीय है और प्रसंज्ञेय नहीं है, अर्थात इस में प्रसंज्ञान लेने पर अभियुक्त को न्यायालय में उपस्थित होने के लिए जमानती वारंट ही जारी किया जा सकता है तथा न्यायालय में उपस्थित होने पर उसे जमानत पेश करने पर हिरासत में नहीं लिया जा सकता है।

इस अपराध का परिवाद मजिस्ट्रेट के न्यायालय में ही प्रस्तुत किया जासकता है और मजिस्ट्रेट को अपराध घटित होने के 1 वर्ष की अवधि में प्रसंज्ञान लेने का अधिकार है उस के पश्चात नहीं जिस का सीधा अर्थ है कि यह अपराध घटित होने के एक वर्ष की अवधि में यदि सक्षम न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत नहीं किया गया तो फिर इस अपराध के संबंध में कोई कार्यवाही किया जाना संभव नहीं है। आप के मामले में यदि दहेज देने की अभिस्वीकृति में एक वर्ष पूर्व दहेज देना स्वीकार किया गया है तो कोई कार्यवाही किया जाना संभव नहीं होगा।

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