शान्ति जी, पूछती हैं —–
मेरी उम्र 36 साल है, मैं एक लड़की हूँ, मेरी शादी हो चुकी है। मेरे पिताजी का देहान्त तीस साल पहले हो चुका है। मेरी माँ अभी जीवित है। मेरे पिताजी ने अपनी प्रोपर्टी की कोई वसीयत नहीं की थी। अब मेरे भाई इस प्रोपर्टी को बेचना चाह रहे हैं। लड़की का अपने पिता की संपत्ति में हिस्सा होता है या नहीं? कृपया मुझे बताएँ कि इस प्रोपर्टी में मेरा हिस्सा मुझे मिल सकता है या नहीं? कृपया मुझे सही सलाह दें।
उत्तर —-
शान्ति जी,
हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम से किसी भी व्यक्ति के देहान्त के साथ ही उस के सभी उत्तराधिकारी उस की संपत्ति निर्वसीयती संपत्ति (जिस संपत्ति के संबंध में कोई वसीयत नहीं की गई हो) के स्वामी हो जाते हैं। किसी पुरूष के देहान्त के उपरांत उस की पत्नी, पुत्र, पुत्रियाँ और माता प्रथम श्रेणी के उत्तराधिकारी होते हैं। इन रिश्तों में जितने भी जीवित व्यक्ति हैं वे सभी मृतक की संपत्ति के भागीदार हो जाते हैं और सब का हिस्सा समान रहता है।
इसी तरह आप के पिता के देहान्त के साथ ही आप अपने पिता की संपत्ति में भागीदार हो चुकी थीं। अब आप विभाजन की मांग कर के आप का हिस्सा अलग करवा सकती हैं। यदि यह सहमति से नहीं होता है तो आप अदालत में संपत्ति के विभाजन का वाद प्रस्तुत कर सकती हैं। मेरी राय है कि आप को अपने भाइयों को संपत्ति के विभाजन के लिए एक विधिक नोटिस अपने वकील के माध्यम से प्रेषित कर देना चाहिए। यदि दो सप्ताह में आप के भाइयों की कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलती है तो आप को विभाजन का वाद प्रस्तुत कर देना चाहिए। इस से आप के भाई संपत्ति को आप की इच्छा के बिना विक्रय नहीं कर सकेंगे। वैसे भी संयुक्त सम्पत्ति के विक्रय पत्र के पंजीयन के लिए उस पर सभी भागीदारों के हस्ताक्षर होना और उन का उन के मुख्तारआम का पंजीयन करने वाले उपपंजीयक के कार्यालय में उपस्थित होना आवश्यक है।