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डॉ. मोहन कुमार वर्मा ने उज्जैन, मध्यप्रेदश से समस्या भेजी है कि-
मैंने नगरपालिका सीएमओ को नामांतरण हेतु आवेदन किया, जिसमें मैंने पिता की पंजीकृत वसियत एवं अनुप्रमाणित गवाह की फोटोकॉपी प्रस्तुत की। इस पर मेरे भाई बहनों ने आपत्ति दर्ज कराई। उन्होंने बटवारा विलेख नोटरी का प्रस्तुत किया जिस पर सलाहकार ने टीप दिया कि आवेदक ने पंजिकृत वसीयत दिया जिस पर न्यायालय का स्टे नहीं है अतः नामांतरण में आपत्ति नहीं है। न.पा.शुजालपुर पी.आइ.सी. की बैठक में नामांतरण स्वीकार हो मेरा नामांतरण होगया। तत्पश्चात मैंने वर्ष 2011-12 से 2016-17 तक संपत्ति कर प्रति वर्ष जमा किया। वर्ष 17-18 का सं.कर जमा करने गया तो मालुम हुआ कि मेरा नामांतरण निरस्त कर मेरे पिताजी का नाम अंकित कर दिया गया। शायद आपत्तिकर्ताओं ने अधिकारियों से साठगांठ करके मेरे नामांतरण अवैध रूप से निरस्त करा दिया अब मुझे क्या कार्यवाही करना चाहिए?
समाधान-
एक बार आप के पक्ष में हो चुका नामान्तरण बिना आप को सुनवाई का अवसर दिए निरस्त नहीं हो सकता था। नगरपालिका ने गलती की है। आप नगर पालिका को इस मामले में नगरपालिका अधिनियम के अंतर्गत नोटिस दें कि उन्हों ने नामान्तरण को निरस्त कर के गलती की है। यदि वे नामान्तरण निरस्तीकरण का आदेश वापस न ले कर नामान्तरण आप के नाम नहीं करते हैं तो आप दीवानी अदालत में नगर पालिका के विरुद्ध दीवानी वाद संस्थित करेंगे।
नोटिस देने के उपरान्त दो माह की अवधि व्यतीत हो जाने पर आप नगर पालिका के विरुद्ध उक्त नामान्तरण निरस्तीकरण को हटाने का व्यादेश पारित करने तथा इस आशय की घोषण करने का वाद संस्थित करें कि पंजीकृत वसीयत से पिता की मृत्यु के बाद आप स्वामी हो गए हैं। इस मामले में वाद संस्थित करने के लिए किसी अच्छे वकील की सेवाएँ प्राप्त करें।