तीसरा खंबा

नामान्तरण सही समय पर कराएँ जिस से गलफहमियाँ न पनपें।

समस्या-

राकेश कुमार ने ग्राम पोस्ट माकतपुर जिला कोडरमा, झारखंड से समस्या भेजी है कि-

मेरी फुआ (गुंजारी देवी) शादी के तुरंत बाद बिना कोई औलाद के बल बिधवा हो गई। मेरी फुआ अपने पति की मृत्यु के बाद अपने मायके में अपने भाई भतीजों के साथ रहने लगी। प्रश्नगत भूमि को राज्य सरकार द्वारा गुंजारी देवी के नाम से बंदोबस्ती वाद संख्या 14/75-76 के माध्यम से 1.40 डी (गैर मजरुआ खास) जमीन बंदोबस्त किया गया एवं सरकारी लगान रसीद गुंजारी के से कट रहा है गुंजारी देवी को प्राप्त भूमि जिला निबंध, कोडरमा के कार्यालय से दान पत्र संख्या 7252 दिनांक 09/06/1986 के माध्यम से अपने भाई एवं भतीजों के नाम से कर दिया।  जो आज तक गुंजारी देवी के नाम से रसीद कटवाते आ रहे हैं उक्त जमीन पर माकन दुकान एवं कुआं बनाकर रहते चले आ रहे हैं | गुंजारी देवी की मृत्यु सन 1993 में हो गई। गांव के कुछ लोगों का कहना है की गुन्जरी देवी को वारिस नहीं होने के कारण उनकी मृत्यु के बाद यह जमीन सरकार के खाते में वापस चली गई इसलिए इस जमीन को हम लोग सामाजिक कार्य के लिए उपयोग करेंगे। क्या गावं वालों का आरोप सही है? क्या ऐसा संभव है? उक्त जमीन पर अपनी दावेदारी मजबूत कैसे करें?

समाधान-

गाँव वालों का आरोप सही नहीं है पर इस आरोप के पीछे गलती गाँव वालों की नहीं गुञ्जारी देवी के भाई भतीजों की है। जंगल में मोर नाचता है तो कोई नहीं देखता। जब शहर गाँव में नाचता है तो लोग देखते हैं और कहते हैं आज मोर नाचा है। गुञ्जारी देवी ने दान पत्र अपने भाई भतीजों के नाम निष्पादित कर रजिस्टर कराया तो उस का नामान्तरण राजस्व रिकार्ड में होना चाहिए था। इस नामान्तरण के न होने से राजस्व रिकार्ड में आज भी भूमि गुञ्जारी देवी के नाम है। यदि उस रिकार्ड को देख कर गाँव के लोग आरोप लगाते हैं और जमीन को सार्वजनिक काम में लेने के लिए कहते हैं तो वे गलत कैसे  हो सकते हैं। सही समय पर नामान्तरण न होने से अनेक गलतफहमियाँ उत्पन्न होती हैं।

अब इस समस्या का निदान यह है कि उक्त पंजीकृत दान पत्र के आधार पर नामान्तरण के लिए आवेदन करें और नामान्तरण कराएँ जब राजस्व रिकार्ड में यह जमीन गुञ्जारी देवी के खाते में आ जाएगी तो गाँव वाले अपने आप यह आरोप लगाना बंद कर देंगे। वैसे भी जब गाँव को सार्वजनिक कार्यों के लिए भूमि की जरूरत हो और भूमि उपलब्ध न हो तो सार्वजनिक कार्यों के लिए उपलब्ध होने वाली भूमि पर उन की निगाह रहेगी। इस कारण तुरन्त नामान्तरण कराया जाना जरूरी है।

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