महेश कुमार वर्मा ने पूछा है–
कृपया बताने की कृपा करें कि आवासीय पता, निवास का पता, स्थायी पता, अस्थायी पता, इत्यादि ………….. इन सब में क्या अंतर है?
यदि किसी का अपना मकान नहीं है तो वह कभी भी अपने आवासीय पते या स्थायी पता में क्या लिखेगा?
क्या यह जरुरी है कि हरेक व्यक्ति का स्थायी पता होगा ही?
क्या कहीं दिया गया आवासीय पते को बदला जा सकता है?
उत्तर–
महेश भाई !
असमंजस में पड़ने की आवश्यकता नहीं है। ये बहुत सारी चीजें नहीं हैं। जब आप कहीं रहते हैं तो यह आवासीय पता कहलाता है। यह आप के आवास का पता बदलने के साथ बदलता रहता है। यदि पूछने वाले ने निर्देश दिया हो कि आवास का पता बदलने पर सूचित करें तो आप उसे सूचित कर सकते हैं।
अस्थाई पता वैसे कोई नहीं पूछता है। लेकिन जब आप कभी-कभी किसी स्थान पर कुछ दिनों तक रहते हैं और वहाँ किसी को संपर्क करने के लिए कहते हैं या डाक प्राप्त करने के लिए कहते हैं तो आप अपना अस्थाई पता देते हैं। जैसे मसलन मुझे अक्सर जोधपुर जाना होता है। मैं वहाँ अपने ठहरने के होटल का पता दे देता हूँ जिस से मुझ से व्यक्तिशः मिला जा सके अथवा वहाँ मुझे डाक आदि पहुँचाई जा सके।
जब भी अदालत में कोई वाद/दावा, अपील या आवेदन प्रस्तुत किया जाता है तो उस के साथ एक पर्चे पर वादी, अपीलार्थी या आवेदक का डाक का पता संलग्न करना आवश्यक होता है। इस का उद्देश्य यह होता है कि उस वाद, अपील या आवेदन के संबंध में अदालत को कोई सूचना आप को प्रेषित करनी हो तो उस पते पर प्रेषित कर दी जाए। वह सूचना उस पते पर पहुँच जाने पर अदालत यह मान लेती है कि सूचना आप को पहुँच गई है। आशा है आप का असमंजस छँट गया होगा।