तीसरा खंबा

नोटेरी द्वारा प्रमाणित दस्तावेज की साक्ष्य में क्या महत्ता है?

कमलेश द्विवेदी पूछते हैं-
 मैं जानना चाहता हूँ कि एक  स्टाम्प पेपर्स पर अंकित और नोटेरी के समक्ष पंजीकृत बयान जो किसी भी  न्यायालय अथवा अर्धन्यायिक कार्यवाही में प्रस्तुत किए जाने पर उस की साक्ष्य मान्य होगी या नहीं।
 
 उत्तर

  कमलेश जी,

हले तो यह अपनी धारणा में सुधार करें कि नोटेरी किसी दस्तावेज को पंजीबद्ध नहीं करता है। दस्तावेजों को पंजीबद्ध करने का काम केवल उपपंजीयक के कार्यालय में होता हैं जहाँ उन की प्रतियाँ सुरक्षित रखी जाती हैं। नोटेरी केवल दस्तावेजों का सत्यापन करता है कि संबंधित दस्तावेज उस के और गवाहों के सामने निष्पादित किया गया था। इस से केवल इतना माना जाएगा कि निष्पादित करने वाला व्यक्ति वही था जिस के उस पर हस्ताक्षर हैं तथा गवाह भी वही हैं जो दस्तावेज में अंकित हैं।
सा कोई भी दस्तावेज केवल शपथ-पत्र के रूप में ही हो सकता है जिस में किसी व्यक्ति के बयान दर्ज हों। यह भी तो हो सकता है कि उस व्यक्ति को स्वयं ही अदालत में बुला कर उस के बयान ले लिए जाएँ जिस का शपथ-पत्र न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत हुआ है। न्यायालय के समक्ष बयान में वह क्या कहता है? उस पर निर्भर करेगा कि उस दस्तावेज को कितना मान्य किया जा सकता है। इस के लिए गवाहों और नोटेरी के बयान भी अदालत में कराने होंगे। नोटेरी अदालत में यह कहेगा कि उस के सामने यह दस्तावेज निष्पादित किया गया था जो उस के रजिस्टर में दर्ज है। अदालत स्वयं मुकदमे की परिस्थितियों में यह निश्चय करेगी कि उस दस्तावेज का क्या अर्थ है और उस का मामले पर क्या प्रभाव होना चाहिए।
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