समस्या-
रामसिंह राजपूत ने अहमदाबाद, गुजरात से पूछा है-
मैं महाराष्ट्र पुलिस में था। 1991 में मेरे ऊपर तीन मुकदमे डाल कर मुझे निलम्बित कर दिया गया। 1993 में हमारे जिले में नया एसपी आया और उस ने बिना कोई विभागीय जाँच किए मुझे सेवाच्युत कर दिया। जब कि मेरा मामला न्यायालय में लबिंत था। 2000 में न्यायालय ने मेरे हक में निर्णय सुनाया। और मैं केस जीत गया। मुझ आज तक नौकरी पर वापस नहीं लिया गया। जब कि मैंने मुम्बई मंत्रायलय में अर्जी दाखिल की थी। वहाँ से भी मेरी अर्जी खारिज कर दी गई। मुझे अब क्या करना चाहिए?
समाधान-
आप पर जो भी मुकदमे (अपराधिक) लगाए गए उन का संबंध आप के निलम्बन और सेवाच्युति से होते हुए भी वे केवल अपराधिक मामले थे। लेकिन जैसे ही आप को सेवाच्युति का दंड दिया गया उस दंडादेश के विरुद्ध विभागीय नियमों के अनुसार विभागीय अपील करनी चाहिए थी। यदि सभी विभागीय अपीलें निरस्त कर दी गई थीं तो आप को समय रहते आप को दिए गए सेवाच्युति के दंडादेश और अपीलीय आदेशों के विरुद्ध सेवा अधिकरण में अपील दाखिल करनी चाहिए थी। मुझे लगता है कि आप ने यह काम करने में कहीं देरी की है या चूक की है।
आप को अब भी मुम्बई जा कर सेवा संबंधी मामलों में वकालत करने वाले वकील को अपने सारे दस्तावेज दिखा कर उस से राय करनी चाहिए कि अब आप क्या कर सकते हैं? किस तरह आप की अवैधानिक सेवा च्युति के विरुद्ध न्याय प्राप्त कर सकते हैं। यह काम आप जितना जल्दी करेंगे उतना ही आप को राहत मिलने की संभावना बनी रहेगी। वैसे 2000 में आप के विरुद्द मामलों का निस्तारण हो चुका था उस के बाद तुरन्त आप को कार्यवाही करनी चाहिए थी। लेकिन उस बात को भी 13 वर्ष से अधिक समय व्यतीत हो चुका है। आप को अपने मामले की जाँच किसी अच्छे वकील से करवा कर ही आगे कार्यवाही करनी चाहिए। क्यों कि हमें लगता है कि आप समय पर उचित कार्यवाही नहीं करने की गलती के शिकार हुए हैं। किसी भी अन्याय के विरुद्ध न्याय प्राप्त करने की कार्यवाही की भी एक समय सीमा होती है। उस के बाद न्याय प्राप्त करना असंभव हो जाता है।