समस्या-
संजना लववंशी ने इंदौर, मध्यप्रदेश से पूछा है-
मेरी शादी हिंदू रीति रिवाज से राजेश लववंशी से ग्राम छनेरा, जिला खंडवा में हुई थी। हमारा 1साल का बेटा है। मेरी समस्या यह है कि मेरे ससुराल वालों ने मुझे शादी के 2 महीने के बाद से मारना पीटना शुरू कर दिया था। पर ये सोच कर मेरे मायके में नहीं बताया कि मेरे मायके वाले बहुत ग़रीब ओर सीधे सादे हैं और मेरे ससुराल वाले बहुत अमीर हैं। सभी जगह उन लोगों की काफी पहचान है। अधिकतकर काम पैसों से करवाते हैं। मुझे 15 जुलाई 2013 को घर से राजेश की बहन ने मेरे पति के कहने पर मार मार कर बच्चे सहित निकाल दिया। मेरे पति की टूरिंग जॉब है सेलेरी 250000/- रूपए है। वो उस समय टूर पर थे। मेरे पति ने मेरी झूठी रिपोर्ट 17 जुलाई 2013 को थाने में लिखवाई। मुझे जब घर से निकाला तब मुझे समझ में नहीं आया कि मैं क्या करूँ। उस समय मेरी हालत बहुत खराब थी। मैं खंडवा की बस में बैठी जहाँ पर मैं और मेरा परिवार रह चुका है। खंडवा अपने दोस्त के घर जिसे मेरा परिवार जानता है उस के किराए के रूम पर सिर्फ़ अपने बच्चे के साथ 7 दिन तक रही। पुलिस ने मेरा बयान दबाब दे कर बदल लिया और मुझे उस में चरित्रहीन साबित कर दिया। साथ ही मुझ पर चोरी का इल्ज़ाम लगा दिया। मेरे परिवार वालों को धमकी दी कि हमारे विरोध में कुछ मत कहना नहीं तो हम तुम्हारी बेटी को नहीं ले जाएंगे। मेरा परिवार भी मेरा दूसरी बार घर बस जाए इस लिए मेरे ससुराल वाले जैसे बोलते गये वैसा करता गया। मुझसे भी वैसा ही करवाया। मैं 3 महीने अपने मायके में रही। उस के बाद इंदौर अलग से किराए के रूम में 6 महीने से अपने बेटे के साथ रह रही हूँ। मैं ने अदालत में भरण पोषण केस 20 ऑक्टूबर 2013 को लगाया है। मेरे पति ने लिखित जबाब में कहा है कि उसे जॉब से निकाल दिया गया है और वो अब बेरोज़गार है। मैं जानना चाहती हूँ कि मुझे और मेरे बेटे को गुजारा भत्ता मिलेगा या नहीं? मिलेगा तो कितना मिलेगा? ओर यदि तलाक़ चाहिए तो मिलेगा या नहीं? मेरे बेटे को हमेशा के लिए मैं रखना चाहती हूँ। इस के लिए मुझे क्या करना पड़ेगा? इस में कितना सम लगेगा। मेरी हालत बहुत कराब चल रही है। मेरी समस्या का समाधान जल्दी दें।
समाधान-
आप के पति व ससुराल के सदस्यों ने आप के साथ अत्यधिक क्रूरतापूर्ण व्यवहार किया है। उन का यह कृत्य धारा 198-ए आईपीसी में अपराध है। आप को इस के लिए पुलिस में रिपोर्ट करानी चाहिए या फिर अपने वकील की मदद से परिवाद प्रस्तुत कर पुलिस को भिजवाना चाहिए। जिस से अपराधियों के विरुद्ध कार्यवाही हो सके। उन के अपराध को साबित करने के लिए आप का बयान भी पर्याप्त है।
आप भरण पोषण का मुकदमा कर चुकी हैं। उस मुकदमे के बारे में आप के वकील आप को बेहतर बता सकते हैं कि उस में कितना समय लगेगा। लेकिन अन्तरिम रूप से भरण पोषण आरंभ करने के लिए आवेदन न दिया हो तो उसे अवश्य प्रस्तुत कराएँ और मामले में गवाहियाँ होने के पहले अन्तरिम भरण पोषण आरंभ कराएँ। पति को खुद साबित करना पड़ेगा कि उसे नौकरी से निकाल दिया गया है। यदि साबित न कर सके तो आप को उस के वेतन के आधार पर पाँच हजार अपने लिए और पाँच हजार अपने बेटे के लिए प्रतिमाह तक गुजारा भत्ता मिल सकता है। कुछ तो अवश्य ही मिलेगा। अन्तरिम रूप से इतना नहीं मिलेगा।
आप का बेटा आप के साथ है। उसे अपने पास रखने के लिए आप को कुछ नहीं करना है। यदि आप के पति उसे अपनी अभिरक्षा में लेने के लिए कार्यवाही करें तो आप को उस कार्यवाही में अपना पक्ष मजबूती से रखना है। बच्चे का भविष्य सदैव माँ के साथ बेहतर होता है और बच्चे की अभिरक्षा उसी को मिलती है जिसे मिलने में बच्चे की भलाई हो।
आप को क्रूरतापूर्ण व्यवहार और अभित्यजन के आधार पर विवाह विच्छेद (तलाक) की डिक्री प्राप्त हो सकती है।
कुछ भी हो। लेकिन यदि आप को अपना जीवन सुधारना है तो स्वयं अपने पैरों पर खड़ा होना पड़ेगा। यदि आप किसी तरह अपने पैरों पर खड़ी हो जाती हैं तो ही आप खुद को मजबूत पाएंगी। यदि आप अच्छा कमाने लगती हैं तो आप का भरण पोषण भले ही बन्द हो जाए लेकिन बच्चे का मिलता रहेगा।