समस्या-
मेरे पापा चंद्रकिशोर जी को मेरे दादा के काका ने गोद रखा था। उनका नाम भागीरथ था उन्हों ने कोई वसीयत नही करवाई थी। उनके दो पत्नियाँ थी। बड़ी पत्नी 15.03.2012 को संत हो गयी। उनके नाम से कुछ ज़मीन थी जो नामांतरण में छोटी पत्नी के नाम से करवाना चाहते हैं। होगी कि नहीं? दूसरा प्रश्न यह है कि भागीरथ जी के बड़े भाई के लड़के ने पटवारी से साथ मिलीभगत करके नाम डलवा लिया। हमारे प्रकरण मे चार तारीख होने के बाद सामने वाले के वकील ने जवाब दिया कि चंद्रकिशोर और रामप्यारी के नाम से उक्त भूमि कैसे आई ये तो गोद लिया हुआ है और दूसरी पत्नी है इनका कोई हक नहीं है। मुझे यहाँ स्पष्ट करें कि दूसरी पत्नी का अधिकार नहीं होता क्या?
-महेन्द्र, कामखेड़ा -आष्टा, जिला सीहोर, मध्यप्रदेश
समाधान-
यदि कोई व्यक्ति संत हो जाता है या सन्यास ग्रहण कर लेता है तो भी वह उस संपत्ति का स्वामी बना रहता है जो सन्यास ग्रहण करने के पूर्व उस के नाम थी। इस तरह यदि भागीरथ जी की बड़ी पत्नी की कोई संपत्ति मौजूद है और बड़ी पत्नी संन्यास ले कर संत हो गई है तो भी संपत्ति उसी के नाम है। वह उस संपत्ति को स्वयं अपने पास रख सकती है या फिर किसी को विक्रय कर सकती है या फिर दान आदि कर सकती है। इस कारण से वर्तमान में यदि उस के नाम की कृषि भूमि छोटी पत्नी के नाम हस्तांतरित करवानी है तो बड़ी पत्नी को उन के नाम दानपत्र निष्पादित करना होगा। यदि वे ऐसा नहीं करती हैं तो संपत्ति उन के नाम बनी रहेगी और उन के देहान्त के उपरान्त उन के उत्तराधिकारी जो कि केवल गोद पुत्र होने के नाते आप के पिता हैं, उन्हें प्राप्त होगी।
आप का दूसरी समस्या है कि भागीरथ जी की कृषि भूमि आप के पिता चंद्रकिशोर जी तथा भागीरथ और पत्नी रामप्यारी के नाम आ गई है। निश्चित रूप से भागीरथ जी के देहान्त के उपरान्त उन के उत्तराधिकारियों के नाम उक्त भूमि आनी चाहिए थी। आधी पहली पत्नी के नाम और आधी आप के पिता चंद्रप्रकाश जी के नाम। यदि ऐसा हुआ है तो सब कुछ सही है। यदि रामप्यारी पहली न हो कर दूसरी पत्नी हैं तो उन का नाम गलत चढ़ा है। दूसरी पत्नी का कोई अधिकार भागीरथ जी की संपत्ति में नहीं है। पहली पत्नी के देहान्त के उपरान्त उन के हिस्से की भूमि भागीरथ जी के गोद पुत्र आपके पिता चंद्रकिशोर जी को प्राप्त होनी है। इस मुकदमे में आप को अपने वकील की सलाह से ही सब कुछ करना चाहिए।