समस्या-
इलयास खान ने नाहरगढ़, जिला पाली (राजस्थान) से पूछा है-
मेरी माताजी ने एक ज़मीन अपने नाम से खरीदी। 1994 मे उसका म्युटेशन भी हो गया। तहसील में संपूर्ण कार्यवाही की गई। खेती की ज़मीन अपने नाम से की गई। वर्तमान मे यह खेती की ज़मीन गवर्नमेंट ने बारानी दोयम कर सरकारी खाते मे डाल दी है। अब हम कैसे इस ज़मीन को अपने नाम से दर्ज करवा सकते हैं? इसके बारे मे विस्तार से बताए ताकि हमारी खेती की ज़मीन हमें फिर से मिल सके। क्योंकि वर्तमान में कब्जा अभी तक हमारे पास में ही है। इस ज़मीन को लिए हुए लगभग 27 वर्ष हो चुके हैं। इसी खेती की ज़मीन पर आज तक हमारे द्वारा ही खेती की जा रही है। इस ज़मीन को हम केसे अपने नाम से करवा सकते हैं?
समाधान-
उक्त जमीन माताजी ने खरीदी थी। विक्रय पत्र के आधार पर नामान्तरण उनके नाम खुल गया था। बारानी दोयम का अर्थ है उस जमीन पर नहर, तालाब, कुएँ आदि से सिंचाई का कोई साधन नहीं है। उसमें फसल केवल बरसाती पानी के आधार पर ही होती है।
अब यदि जमीन के सरकार के खाते में दर्ज कर दिया गया है तो इसका अर्थ है यह राजस्व विभाग की गलती है। यह भी हो सकता है कि उस जमीन का अधिग्रहण किया गया हो। यदि अधिग्रहण किया गया है तो उस का मुआवजा आपको मिलना चाहिए।
यदि अधिग्रहण नहीं किया गया है तो यह भी हो सकता है कि वह नगरीय भूमि में परिवर्तित की गयी हो। यदि ऐसा है तो आपको आवासीय में परिवर्तन का धन जमा करवा कर उसका नगरीय आवासीय भूमि के रुप में स्वामित्व पुनः प्राप्त करना होगा।
यदि उक्त दोनों में से कोई बात नहीं हुई है तो यह विभागीय गलती है। उसे दुरुस्त कराने के लिए आपको कार्यवाही करनी होगी। इस कारण पहले आप यह पता करें कि विभागीय रिकार्ड में यह बदलाव कैसे और कब हुआ है। उस बदलाव का कारण क्या है? इससे पता लगेगा कि समस्या क्या है? समस्या पता लगने पर ही उसका समाधान किया जा सकेगा। बेहतर है कि आप इस काम के लिए राजस्व का काम करने वाले किसी स्थानीय वकील सकी मदद लें।