आप ने जब आर्य समाज ने विवाह किया था तो आप को प्रमाण पत्र मिला होगा। विवाह के छाया चित्र भी होंगे और गवाह भी आप के साथ ही होंगे। जब आप और आप की पत्नी साथ रहे तो आप ने और भी कुछ छाया चित्र लिए होंगे। उन्हें संभाल कर रखिए वे सभी अब महत्वपूर्ण सबूत हैं और आप के विवाह को साबित करने के लिए काम आएंगे। आप ने यह भी बताया है कि आप की पत्नी आप को छोड़ कर चली गई और अपने बचपन के मित्र के साथ पंजीकृत विवाह कर लिया। तब आप को विवाह के पंजीयन अधिकारी के कार्यालय से उन के विवाह को पंजीकृत कराए जाने का प्रमाण पत्र भी मिल सकता है। आप यह प्रमाण पत्र प्राप्त कर लीजिए। इस तरह आप के पास आप की पत्नी द्वारा दूसरा विवाह कर लेने का दस्तावेजी साक्ष्य भी आप के पास होगा।
आप का आर्य समाज में विवाह वैध हिन्दू विवाह था। आप की पत्नी आप से तलाक लिए बिना दूसरा विवाह नहीं कर सकती थी। उस ने जो विवाह किया है वह हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 5 (i) के अंतर्गत अवैध है और धारा 11 के अंतर्गत शून्य है जिसे न्यायालय से शून्यता की डिक्री प्राप्त कर अवैध घोषित कराया जा सकता है। इस तरह कानूनन आप का विवाह वैध है और अभी तक कायम है। लेकिन आप की पत्नी ने पहले पति के जीवित रहते और उस से बिना तलाक हासिल किए दूसरा विवाह कर के भारतीय दंड संहिता की धारा 494 के अंतर्गत दंडनीय अपराध है जिस की सजा सात वर्ष तक का कारावास और जुर्माना है। आप ऊपर बताए सबूतों को हासिल कर के अपनी पत्नी के विरुद्ध पुलिस में धारा 494 के अंतर्गत प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करवा सकते हैं। इस अपराध के साबित हो जाने पर आप की पत्नी को दंडित किया जा सकता है।
आप की पत्नी ने न केवल दूसरा विवाह किया है अपितु वह अपने नए पति के साथ निवास कर रही है। इस तरह से उस ने हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा-13 (1) (i) के अंतर्गत अपने पति के जीवित रहते हुए और बिना उस से विवाह विच्छेद की डिक्री हासिल किए अन्य व्यक्ति के साथ यौन संबंध स्थाप