तीसरा खंबा

पिता से पुत्री के भरण पोषण की राशि प्राप्त करने के लिए माता कब कार्यवाही करे?

समस्या-

मैं मुम्बई में केन्द्र सरकार की नौकरी में हूँ। मेरा विवाह 2006 दिसम्बर में हुआ था। लेकिन मेरी कुछ गलतियों के कारण अब मेरे पति मुझ से तलाक चाहते हैं। मैं ने सब कुछ पति के सामने स्वीकार किया लिया और यह विश्वास दिलाया कि फिर भविष्य में कभी भी ऐसा नहीं होने दूंगी।  लेकिन पति मुझ पर विश्वास नहीं है और वे मुझ से अलग होना चाहते हैं।  मेरे एक चार वर्ष की पुत्री भी है। पति ने कहा है कि यदि मैं चाहूँ तो पुत्री को अपने संरक्षण में रख सकती हूँ।  मेरे पति ने सहमति से तलाक की कानूनी तैयारियाँ पूरी कर ली हैं।  मेरा सवाल यह है कि सहमति से तलाक के बाद यदि मैं पुत्री को अपने पास रखूँ तो क्या उस के पिता से भरण पोषण के लिए वित्तीय सहायता की मांग कर सकती हूँ?   कानूनी दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने के पहले मुझे क्या करना चाहिए।

-वृषाली, कल्याण, महाराष्ट्र

समाधान-

प ने साफगोई और साहस का परिचय दिया है। गलतियाँ इंसान से होती हैं और वही उसे सुधारता भी है। लेकिन यदि आप के पति आप से अलग होना ही चाहते हैं और आप तैयार हैं तो यह दोनों के लिए ठीक है। वैसे सहमति से तलाक के मामले में भी आवेदन प्रस्तुत करने के छह माह बाद ही तलाक की डिक्री पारित होगी। छह माह बाद पति व पत्नी दोनों से पूछा जाएगा कि क्या आप का इरादा अब भी तलाक लेने का है या बदल गया है। उस समय तक यदि पति-पत्नी के बीच पुनः विश्वास कायम हो जाए तो वे तलाक की अर्जी को खारिज करवा कर फिर से साथ रह सकते हैं। दोनों में से एक के भी सहमति को वापस ले लेने पर तलाक होना संभव नहीं है तब भी न्यायालय अर्जी को खारिज कर देगा।

हमति से तलाक के मामले में तलाक की सभी शर्तें दोनों पक्षों के बीच तय हो जानी चाहिए।  जैसे पत्नी का स्त्रीधन क्या है? जिसे वह अपने साथ रखेगी। संतान यदि माता के साथ रहेगी तो उस के भरण पोषण के लिए पिता क्या राशि प्रतिमाह देगा और भविष्य में यह राशि किस तरह बढ़ेगी या घटेगी।

भारतीय विधि में पुत्री को अपने माता पिता से उस का विवाह होने तक या आत्मनिर्भर होने तक भरण पोषण प्राप्त करने का अधिकार प्राप्त है। यदि सहमति से तलाक की डिक्री में संतान के भरण पोषण के मामले में कोई शर्त तय नहीं भी होती है तब भी संतान अपनी माता के माध्यम से बाद में भी भरण पोषण, अध्ययन और विवाह आदि के खर्चों के लिए धनराशि की मांग कर सकती है। आप चाहें तो पुत्री के लिए पिता से जो भी भरण पोषण आदि खर्चे भविष्य में चाहिए उन्हें तलाक की अर्जी देने के पहले तय कर के उसे अर्जी में अंकित करवा सकती हैं। तलाक की डिक्री में उन का उल्लेख हो जाएगा। यदि ऐसा तलाक के समय न किया जा सके तो बाद में भी तय किया जा सकता है और पिता भरण पोषण से इन्कार करे तो भरण पोषण प्राप्त करने के लिए पुत्री की ओर से माता न्यायालय में भरण पोषण की राशि के लिए आवेदन या वाद प्रस्तुत कर सकती है।

Exit mobile version