तीसरा खंबा

पुलिस को मिथ्या शिकायत करने वाले के विरुद्ध क्या कार्यवाही करें?

rp_police-station8.jpgसमस्या-

पवन ने प्रतापगढ़ राजस्थान से समस्या भेजी है कि-

मारे भवन निर्माण कार्य चल रहा था ! जिस में पडोसी ने आपति लगाई, वह हम से उस की दीवार बनवाना चाहता था! लेकिन हमने ऐसा नहीं किया तो उस ने हमारे पूरे परिवार के 7 सदस्यों पर नारी लज्जा भंग का झूठा केस लगा दिया है! हम ने हमारी और से 4 गवाह पेश किये कि यह केस झूठा है! अभी तक पुलिस द्वारा हमें किसी प्रकार से परेशान नहीं किया गया है! अब आगे क्या हो सकता है?! केस को लगे मात्र 10 दिन हुए हैं! हम उस के ऊपर कैसी क़ानूनी कार्यवाही कर सकते हैं! हमें समाधान दीजिये!

समाधान –

क्त प्रकरण में पुलिस ने प्रथम सूचना रिपोर्ट भी दर्ज की है या नहीं यह स्पष्ट नहीं है। पुलिस कुछ मामलों में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कर लेती है, लेकिन कुछ मामलों में उसे प्राप्त हुई रिपोर्ट की जाँच पहले ही कर लेती है जिस में वह यह जानना चहती है कि वास्तव में कथित अपराध हुआ भी है या नहीं। यदि पुलिस को लगता है कि कोई अपराध घटित नहीं हुआ है तो वह जाँच कर के वहीं शिकायत को समाप्त कर देती है। इस का कारण यह है कि लोग किसी भी व्यक्ति को परेशान करने की नीयत से भी मिथ्या शिकायतें पुलिस के पास करते हैं।

प को चाहिए कि थाने से संबंधित मजिस्ट्रेट के न्यायालय से यह पता करें कि क्या प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज हुई है। यदि रिपोर्ट दर्ज हुई होगी तो वह 24 घंटों की अवधि में मजिस्ट्रेट के न्यायालय में पहुँच चुकी होगी। आप स्वयं जाँच करने वाले पुलिस अधिकारी से पूछ कर भी पता कर सकते हैं। यदि कोई प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज नहीं हुई है तो आप सूचना के अधिकार के अन्तर्गत एसपी कार्यालय को आवेदन प्रस्तुत कर के इस शिकायत तथा उस पर की गयी जाँच से संबंधित दस्तावेज की प्रतिलिपियाँ प्राप्त कर लें और उन्हें किसी स्थानीय वकील को दिखाएँ। उन की प्रतियाँ देख कर ही वकील यह बता सकेगा कि कोई कार्यवाही आप के पड़ोसी के विरुद्ध की जा सकती है अथवा नहीं।

दि प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज हो गयी हो तो पुलिस या तो आप के विरुद्ध कोई आरोप पत्र न्यायालय में प्रस्तुत करेगी तो वह आप को बता देगी। वैसी स्थिति में आप को आप के विरुद्ध मुकदमे को लड़ कर समाप्त कराना होगा। यदि वह आरोप पत्र के स्थान पर अन्तिम प्रतिवेदन प्रस्तत करती है तो फिर अन्तिम प्रतिवेदन की प्रमाणित प्रतियाँ न्यायायलय से प्राप्त कर लें और उन्हें किसी स्थानीय वकील को दिखा कर कार्यवाही करें।

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