सुमन ने सोनीपत हरियाणा से पूछा है-
मैं 45 साल की विवाहित महिला हूँ। हम दो भाई व दो बहनें हैं। मेरे पिता जी जीवित हैं। मेरे पिता के नाम गाँव कुण्डली में 20 एकड़ जमीन है जो कि मेरे पिता जी को मेरे दादा जी व दादा जी को उनके पिता जी से तथा आगे उनके पिता जी से उत्तराधिकार में मिली थी। ये पुश्तैनी जमीन है। मैंने मेरे पिता जी व भाईयों को छ: साल पहले दस लाख रुपये उधार दिए थे। एक साल पहले मैंने मकान खरीदना था तब मैंने पिता जी व भाईयों से रुपये लौटाने को कहा तो उन्होंने मेरे रुपये देने से मना कर दिया तथा अब बोलचाल भी बन्द कर दी है। मेरे पति मुझे रुपये लाने को कहते है । परन्तु मैं मजबूर हूँ। मैं बहुत दु;खी रहती हूँ। क्या पुश्तैनी जमीन में मेरा हिस्सा है? यह जानना चाहती हूँ कि क्या मैं पिता के जीवित रहते पुश्तैनी जमीन में से मेरे हिस्से की जमीन ले सकती हूँ? मुझे क्या करना होगा तथा मुझे कितना हिस्सा मिल सकता है? क्या मेरे पिता जी पुश्तैनी सारी जमीन मेरे भाईयों के नाम कर सकते है? कृपया उचित कानूनी सलाह दें।
समाधान-
दिनांक 09.09.2005 को हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम 2005 के प्रभावी होने के पूर्व पुत्रियों को पुश्तैनी संपत्ति में अधिकार नहीं था। किन्तु उक्त तिथि से सभी पुत्रियों को पुश्तैनी / सहदायिक संपत्ति में उसी तरह अधिकार प्राप्त हो गया है जैसे कि पुत्रों को प्राप्त है। उक्त तिथि के उपरान्त जन्म लेने वाली पुत्रियों को यह अधिकार जन्म लेने के समय ही प्राप्त होने लगा है।
उक्त अधिनियम के अनुसार आप को भी अपने पैतृक परिवार की पुश्तैनी/ सहदायिक संपत्ति में दिनांक 09.09.2005 से ही अधिकार प्राप्त हो चुका है, अब आप भी उस सहदायिकी की एक सदस्य हैं। और आप अपने हिस्से को अलग करने की मांग कर सकती है। यदि उक्त तिथि के बाद सहदायिकी का कोई हिस्सा सहदायिकी से अलग किया गया हो तो उस में भी आप का अधिकार था।
आप तुरन्त बँटवारा कराने तथा अपना पृथक हिस्सा व उस पर कब्जा प्राप्त करने के लिए तुरन्त बंटवारे का वाद संस्थित कर सकती हैं।