एक पाठक ने प्रश्न रखा है …
मैं एक प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेज में बी. टेक. में अध्ययनरत हूँ। यहाँ अनुशासन के नाम पर छात्र-छात्राओं के साथ बदसलूकी की जाती है, तथा छोटी-मोटी गलतियों पर आर्थिक दंड लगाकर पैसा उगाहने का कार्य किया जाता है। विगत दिनों छात्र-छात्राओं के कैम्पस में कहीं भी साथ घूमने या बैठने पर पाबन्दी लगाने से सम्बंधित नोटिस जरी किया गया। यह पाबन्दी कॉलेज के उपरांत अवकाश समय में होस्टेलेर्स पर विशेष रूप से लागू की गई। यहाँ तक कि कैंटीन जैसी अनौपचारिक जगहों पर भी। यह पाबन्दी बिना किसी भड़काने वाली या अप्रिय घटना के बावजूद लागू की गई है और ऐसा भी नही है कि किसी आपत्तिजनक घटना के फलस्वरूप लगाई गई हो। इससे भी बुरी बात है, इस नियम की वजह से चलने वाली गार्डों की बदतमीजी, तथा वार्डेन का छात्रों के साथ घटिया व्यवहार, खासतौर पर बात करने का ढंग, गाली-गलौज तो आम बात है.
मेरा प्रश्न यह है, कि क्या अनुशासन के नाम पर स्टूडेंट्स की व्यक्तिगत ज़िन्दगी में अतिक्रमण जायज है, वह भी तब जबकि सभी स्टूडेंट्स कानूनी तौर पर वयस्क हैं, तथा अपने निर्णय के अधिकारी स्वयं हैं. क्या यह सब व्यक्तिगत स्वंतंत्रता तथा सम्मान-जनक जीवन के संवैधानिक अधिकार का हनन नहीं है? और क्या ऐसा करना विधि-सम्मत है?
उत्तर …