समस्या
दीप कुमार नवेरिया ने ग्राम रानेह, तह. हट्टा, जिला दमोह मध्यप्रदेश से पूछा है-
मेरी 98 साला दादी के 6 बेटे हैं जिसमें से एक मेरे पिता जी भी है। दादा जी के देहांत के बाद दादीजी एवं दादाजी की के नाम, सम्पत्ति का बँटवारा 6 भाइयों में आपसी सहमति से हो गया या कर लिया गया था। जो कि 8 एकड़ के करीब प्रत्येक बेटे को मिली थी, जिसमें से बस एक एकड़ मेरी दादी के नाम पर छोड़ दिया गया था जो अभी भी दादी जी के नाम पर है, जिस पर मेरे चाचा जी खेती करते हैं और फसल प्राप्त करते हैं। जिसमें से प्राप्त फसल को चाचा जी ही रख लेते है। और दादी जी को कुछ भी नहीं दिया जाता, और ना ही दादी जी की, किसी भी तरह की मदद करते हैं। पांचो बेटों में से (मेरे पापा जी को छोड़ कर) कोई भी उनकी जिम्मेदारी नहीं लेता। सभी बेटे इसी इंतजार में हैं कि उनकी बूढ़ी माँ कब शांत हो, और बचा हुआ ज़मीन का एक एकड़ का हिस्सा भी आप में बाँट लें, इसलिए दादी मेरे साथ रहती है और में उनका नाती हूँ। मैं और मेरी पत्नी और मेरा पुत्र ही उनकी देखभाल करते हैं और सारी जिम्मेदारी निभाते हैं और निभाना चाहते हैं। मेरी दादी जी और मैं चाहता हूँ की बची हुई जमीन जो दादी जी के नाम है वह मेरे नाम हो जाए जिससे दादी जी के देहांत के बाद उस जमीन पर सिर्फ मेरा ही अधिकार रहे। उनके बेटों/ बहुओं का कोई अधिकार न रहे। अब इसके लिए दादी जी से मेरे नाम सम्पत्ति की वसीयत करना/कराना सही होगा या फिर विक्रयनामा (जो कि दादी जी के सहमती से ही होगा)। इसलिए महोदय जी इनमें से जो भी कानूनी रूप से उचित हो, या इसके अलावा अगर कोई और भी विकल्प है तो इसकी कानूनी प्रक्रिया बता एवं समझा कर इसमे मदद, करने कृपया करें। जिससे उस ज़मीन पर उनके बेटों द्वारा आपत्ति, कब्जा, या कोई भी हक ना रह सके ना ही जमा सके। मुझे उचित कानूनी सलाह दे कर इसमे मेरी मदद करे।
समाधान-
सबसे पहले तो यह तय करें कि जो आपसी बँटवारा हुआ है वह पंजीकृत हुआ है या नहीं। दूसरा ये कि क्या बंटवारे का अंकन राजस्व रिकार्ड में हो चुका है या नहीं।
यदि बँटवारा राजस्व रिकार्ड में अंकित हो चुका है और आपकी दादी का खाता अलग हो गया है तो उस जमीन का विक्रय पत्र या दानपत्र आपके नाम करवाना उचित होगा। इसके लिए आपको तहसील स्तर पर किसी डीडरायटर से बात करके विक्रय पत्र या दानपत्र पंजीकृत कराया जा सकता है।
यदि बँटवारानामा पंजीकृत नहीं है और राजस्व रिकार्ड में बँटवारा अंकित नहीं हुआ है और दादी के नाम अलग से कोई खाता नहीं खुला है तो यह बँटवारा नहीं है और केवल आपसी सहमति से जमीन का कब्जा बाँट लिया गया है। वैसी स्थिति में दादी का हिस्सा भी सभी पुत्रों के बराबर का होगा। इस तरह दादी का हिस्सा बढ़ जाएगा और सभी पुत्रों का कम होकर दादी सहित सभी को लगभग 7 एकड़ भूमि प्राप्त होगी।
ऐसी स्थिति है तो अभी तक जमीन शामलाती है और उसमें दादी का हिस्सा लगभग 7 एकड़ है। दादी उस पूरे हिस्से की वसीयत करके आपके नाम पंजीकृत करा सकती है। यह ध्यान रखें कि वसीयत पंजीकृत अवश्य हो जिससे बाद में आप पर उसे सही साबित करने दायित्व न रहे।