रोमी ने पूछा है – – –
क्या बैंक की आम लोगों के प्रति कोई जिम्मेदारी नहीं होती है? मैं जब भी बैंक जाता हूँ वहाँ के लोग हमेशा हम से गलत और गंदा व्यवहार करते हैं। क्या बैंक के कर्मचारियों के लिए भी कोई कानून होते हैं? क्या बैंक में सूचना अधिकार नियम लागू होता है अगर हाँ तो किस हद तक?
उत्तर – – –
रोमी भाई!
समस्या यह है कि हम गंदे और गलत व्यवहार का उत्तर गाली-गलौच से देते हैं और हमारा जो अहम् आहत होता है उस की तुष्टि हो जाती है। हम दयावान भी बहुत हैं सोचते हैं कि गाली दे कर हमने उसे दंडित कर ही दिया है, बेचारे की नौकरी में क्यूँ पंगा किया जाए। लेकिन कर्मचारी को इस से कोई सबक नहीं मिलता। उस ने अनुशासनहीनता की है तो निश्चित ही उसे अनुशासनिक कार्यवाही के लिए तैयार रहना चाहिए। लेकिन जब शिकायत ही नहीं होती है तो अनुशासनिक कार्यवाही कहाँ होगी? कोई शिकायत करता भी है और उस पर अनुशासनिक कार्यवाही होती भी है तो संबंधित कर्मचारी उस के पैर जा पकड़ता है। अनेक लोगों से आप पर सिफारिशें पहुँचाता है। अपने बाल-बच्चों पर रहम की भीख मांगता है। आप फिर द्रवित हो उठते हैं। आप या तो अनुशासनिक कार्यवाही में बयान देने नहीं जाते, या फिर उस के बहुत पहले ही अनुशासनिक अधिकारी को लिख देते हैं कि उन के बीच गलतफहमी हो गयी थी जिस के कारण आप ने शिकायत कर दी। अब गलतफहमी दूर हो गई है इस लिए आप कोई कार्यवाही नहीं चाहते।
अब आप ही बताइए कि इन हालातों में कैसे कर्मचारियों को अनुशासन में रखा जा सकता है। इस के लिए राष्ट्रीय स्तर पर जनता में जागरूकता होनी चाहिए कि व