समस्या-
उज्जैन, मध्य प्रदेश से संजय शर्मा ने पूछा है –
मेरी उम्र 30 वर्ष है, मेरी पत्नी मेरे माता-पिता के साथ नहीं रहने के कराण अपने पिता के घर चली गई है। मेरी प्तनी ने बिलकुल ही झूठा दहेज का मुकदमा धारा 498-ए भा.दंड संहिता तथा भरण पोषण का धारा 125 दंड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत कर दिया है। मैं प्राइवेट नौकरी करता हूँ। मेरा वेतन 5180/- रुपए प्रतिमाह है। उज्जैन कुटुम्ब न्यायालय की न्यायाधीश ने बिना मेरी सेलरी स्लिप देखे ही 3000 रुपए प्रतिमाह का अंतरिम भरण पोषण का आदेश दे दिया है। क्या ये सही है? मैं अब क्या कर सकता हूँ? क्या अब मुझे अब अपनी सेलरी स्लिप दे देनी चाहिए?
समाधान-
धारा 125 दंड प्रक्रिया संहिता के मामले में पहली दूसरी सुनवाई के समय ही अंतरिम भरण पोषण का आदेश दिया जा सकता है। कानून के अनुसार अंतरिम भरण पोषण भत्ते का आदेश न्यायालय को आवेदन प्रस्तुत होने के 60 दिनों में करना होता है। इस कारण से इस तरह के मामलों में पहली सुनवाई के समय ही अंतरिम भरण पोषण के आवेदन का जवाब तथा अपनी आपत्तियाँ प्रस्तुत करनी चाहिए और साथ में जरूरी दस्तावेज भी प्रस्तुत करना चाहिए। किसी न्यायालय का यह कर्तव्य नहीं है कि वह खुद पक्षकार से किसी खास दस्तावेज को प्रस्तुत करने के लिए कहे। प्रत्येक पक्षकार को अपने पक्ष के समर्थन के लिए आवश्यक दस्तावेज जल्दी से जल्दी न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करने चाहिए। आप की गलती है कि आप ने अपनी सेलरी स्लिप न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत नहीं की। अभी भी आप पूछ रहे हैं कि इसे प्रस्तुत करना चाहिए या नहीं। आप को आगामी पेशी पर सब से ताजा सेलरी स्लिप अर्थात अप्रेल 2013 के माह की प्रस्तुत करना चाहिए। यदि आप को लगता है कि अंतरिम गुजारा भत्ता अधिक तय हो गया है तो आप को मूल आवेदन का जवाब तो प्रस्तुत करना ही चाहिए उस के साथ एक अलग से आवेदन प्रस्तुत करना चाहिए जिस में कहना चाहिए कि आप अपनी पत्नी को साथ रखने को तैयार हैं वही बिना किसी कारण के आप के साथ नहीं रह रही है। इस के अलावा आप को सेलरी स्लिप के साथ अपनी आय के बारे में न्यायालय को बताना चाहिए कि आप पर अपे माता-पिता का भी खर्च है इस कारण से अलग रहने वाली अपनी पत्नी को आप के वेतन के एक तिहाई वेतन से अधिक भरण पोषण भत्ता दिया जाना उचित नहीं है। आप को उसे कम करने की प्रार्थना न्यायालय से करना चाहिए।