धर्मेन्द्र शर्मा ने पूछा है-
विवाहित जीवन में कभी-कभी पति-पत्नी के बीच आपसी व्यवहार को ले कर दूरी बन जाती है, तो इस तरह के परिणाम सामने आते हैं। पत्नी अपनी ससुराल से अलग अपना परिवार बसाना चाहती है और उसे अपने पति से आर्थिक सहयोग चाहिए होता है। लेकिन पति की अपने माता-पिता के परिवार के प्रति जिम्मेदारियाँ होती हैं। वह पहले उन्हें निभाना चाहता है और उस के लिए वह अपने स्वयं के परिवार की आवश्यकताओं का बलिदान करता है। एक सीमा तक पत्नी इस बलिदान को सह लेती है लेकिन सीमा से परे जाने पर उसे लगता है कि उस की और उस की संतान की उपेक्षा की जा रही है। पति-पत्नी के मध्य घोर विवाद चलता रहता है जो परिजनों के सामने नहीं आता है। इस विवाद के आपस में हल न होने की स्थिति में अक्सर पत्नी यह तय कर के कि वह पति से स्वतंत्र अपने अस्तित्व का निर्माण करेगी और अपनी संतान को अच्छे से विकसित कर के योग्य बनाएगी, एक नए मार्ग पर चल पड़ती है। तब पत्नी वास्तव में अपने पति से लगभग पूरी तरह अलग हो चुकी होती है, लेकिन अपने वैवाहिक संबंध को समाप्त नहीं करना चाहती, वह स्वयं दूसरा विवाह नहीं करना चाहती है और यह भी नहीं चाहती कि उस का पति भी दूसरा विवाह करे। यह अत्यन्त जटिल परिस्थिति है जिस का सामाजिक संमाधान अत्यन्त दुष्कर लेकिन असंभव नहीं है।
जब दूसरे नोटिस के उत्तर में आप की भाभी ने पति के साथ रहने की इच्छा प्रकट की है तो प्रयास इस बात का करना चाहिए कि भाई-भाभी के बीच के रिश्ते सामान्य हो जाएँ। आप की भाभी और भाई के बीच संबंध इतने अधिक बिगड़ चुके हैं कि वे इस विवाद को आपस में हल नहीं कर सकते। इस के लिए किसी अन्य व्यक्ति की मध्यस्थता की आवश्यकता है। यह भूमिका आप भली तरह निभा सकते हैं। मेरी राय में आप को यह कार्य करना चाहिए। आप भाभी के देवर हैं। भाभी-देवर क