समस्या-
फतेहपुर, उत्तर प्रदेश से अफ़सर सिद्दीकी ने पूछा है –
मेरे पास राजू नाम का व्यक्ति आया और कहने लगा मेरे पास 4 बीघे खेत है। 1982 से 1986 तक 16 बीघे ज़मीन मैं रामू वकील की पत्नी को बेच चुका हूँ, अब मेरे पास 4 बीघे और है। यह बात 2012 की है। मैं ने खतौनी देखी सब कुछ उसके और मेरे सलाहकारों के हिसाब से ठीक था। मैं ने जून में फतेहपुर मे बैनामा करवा लिया। बैनामे के 40 दिन के बाद दाखिल खारिज हो कर मेरा नाम ख़तौनी में आ गया। फिर 5 दिन बाद मैं ने नाप के लिए वकील से हदबंदी के लिए दायरा किया। मेरे 4 बीघा की नाप हुई। नाप के वक्त कुछ लोग आए और कहने लगे कि मेरे पास इसी नम्बर के खेत का 4 बीघे का जनवरी 2006 का बैनामा है। यह कहकर फोटो कॉपी दिया और नाप रोकने के लिए क़ानूनगो को कहा। पर क़ानूनगो ने कहा कि मैं क़ानून के हिसाब से अफ़सर की खतौनी के हिसाब से हदबंदी कर रहा हूँ। वहा पर मैं परेशान हुआ कि अब क्या होगा? मेरे साथ एक बगल के खेत वाले ने उस आदमी से सवाल किया कि आपने अभी तक दाखिल खारिज (नामान्तरण) क्यूँ नहीं कराया? इस बेचारे को क्या मालूम कि यह खेत पहले बिक चुका है? मैं ने उसी जगह पर उसके बैनामे की फोटो-कॉपी पढ़ी। मैं ने पूछा अपने किससे लिया है तो मैं ने पढ़ा कि बेचने वाला पप्पू है। उसके पास मुख्तारनामा जैसा कि बैनामे में लिखा है कि उसके पास 25-01-1997 में राजू ने पप्पू को मुख़्तार-आम बनाया है। उस ने कहा कि उस ने पप्पू से 2006 में बैनामा करवाया है और वह आपत्ति लगवा कर मेरा बैनामा खारिज करवा देगा। मैं ने राजू को फोन किया कि यह कैसा धोका है? इस वक्त राजू की आयु 75 साल की होगी और मेरी 40 साल। राजू कहने लगे मैं ने मुख्तार नियुक्त नहीं किया। मेरे 3 लड़के हैं मुझे पप्पू को मुख्तार नियुक्त करने की क्या जरूरत थी? फिर मैं उसी दिन पप्पू से मिला तो उस ने कहा कि मुझे याद नही है। हाँ मैं ने अभी तक बहुत ज़मीन बेची है। इस खेत की पॉवर ऑफ अटॉर्नी मुझे रामू वकील के ज़रीए मिली है और काग़ज़ उन्हीं के पास हैं। फिर उसी वक्त मैं रामू वकील के पास गया तो वकील साहब कहते हैं कि हाँ मैने राजू से अपनी पत्नी के नाम 16 बीघे खेत लिए हैं और राजू ने पॉवर ऑफ अटॉर्नी मेरे सामने पप्पू को दी थी। फिर मैं रात में राजू के घर गया और पूछा तो राजू ने कहा कि मैं ने किसी को भी अपने हिसाब से कोई मुख़्तार नामा नहीं लिखा है। अगर लिखा होता तो मैं तुमको ज़मीन (खेत) क्यों बेचता? मैं तुम्हारे साथ हूँ जहाँ कहोगे मैं हर अदालत में कहूंगा। पर इतना ज़रूर है कि मैं उर्दू में साइन बना लेता हूँ, हिन्दी मुझको लिखना पढ़ना नहीं मालूम है। रामू मेरा वकील है 1972 से 2002 तक 16 बीघे जमीन कई बार में उसकी पत्नी के हाथ बेचे हैं। मेरे उपर एक लोन का मुक़दमा और घर का मुक़दमा के चक्कर में वकील के पास बराबर तारीखों में जाता था। कई बार वकील साहब किस में साइन के लिए कहते थे तो मैं करता था। मेरी माली हालत खराब होती थी तो ज़मीन बेच देता था। मुक़दमा हार ना जाऊँ इसलिए जिस काग़ज़ में साइन को कहते थे करता था। कभी अदालत के बाहर काग़ज़ दिए या कभी तहसील में तो मैं साइन करता था। अब रामू वकील ने मुझसे मुख़्तार नामा लिखवा लिया हो तो मैं नहीं बता सकता। लेकिन अभी भी मैं बहलफ कहता हूँ. मुझको चाहे जिसके सामने पेश कर दो, मैं ने हूँस हवस में कोई मुख़्तार आम नही किया है। यह धोका किया गया है। फिर मैं ने दूसरे दिन राजू को अपने पास बुलाया और कहा चलो मेरे साथ क्यों कि वकिल रामू ने कहा है की मुख़्तार नामा रजिस्टर्ड है मैं आज 25-10-2012 को गया तो रजिस्ट्री ऑफीस में मोआयना में लोगों ने बताया की यह रजिस्टर्ड राजू तुम्ही ने किया होगा। साइन पहचानो राजू ने कहा साइन मेरी ही लग रही है लेकिन मैने मुख़्तार नामा नही लिखा है। यह सब धोका किया गया है। मैं पप्पू को जानता भी नहीं हूँ। हाँ, एक बार रामू को बस्ती में देखा है अब मैं क्या करूँ? मेरे खरीदे हुए खेत 4 बीघे जिसका दाखिल खारिज हो चुका है, हदबंदी भी हो गई है, पप्पू ने जिसको 2006 में बैनामा किया है, जिसका दाखिल खारिज नहीं है यह खेत उसको मिलेंगे या मुझको? मेरे साथ अभी भी राजू बयान देने को तैयार है। मैं अपनी पत्थर-गड़ी करवा सकता हूँ और क़ब्ज़ा ले सकता हूँ और मैं ही असली मालिक हूँ। मुझको सही रास्ता दिखाएँ।
समाधान-
आप ने पूरी एहतियात बरतने के उपरान्त उक्त भूमि को खरीदा है। विक्रय पत्र का निष्पादन आप के पक्ष में हो चुका है। राजस्व रिकार्ड में उक्त भूमि का नामान्तरण (दाखिल खारिज) आप के नाम से हो चुका है। राजस्व अधिकारियों से आप भूमि का नाप करवा चुके हैं और मौके पर विक्रेता से कब्जा प्राप्त कर चुके हैं। इस तरह आप उक्त भूमि के सद्भाविक क्रेता हैं और भूमि का कब्जा आप के पास है। आप को सभी प्रकार के भय मन से निकाल कर उक्त भूमि को अपने काम में लेना चाहिए।
जो व्यक्ति यह दावा कर रहा है कि भूमि को वह पूर्व में खरीद चुका है तो अब उसे इस भूमि पर दावा करना चाहिए। यही वह कह रहा है। लेकिन उस के दावे में दम नजर नहीं आ रहा है। यदि उस ने भूमि पहले खरीदी है तो कब्जा क्यों नहीं लिया? चाहे भूमि मुख्तार के माध्यम से बेची हो पर यदि कब्जा मूल स्वामी का है तो फिर कब्जा भी मूल स्वामी से प्राप्त करेगा। इतने वर्ष पहले विक्रय पत्र का पंजीयन होने पर भी उस ने राजस्व रिकार्ड में नामान्तरण अपने नाम क्यों नहीं कराया? ये वे प्रश्न हैं जिन से उस व्यक्ति को जूझना पड़ेगा।
भूमि का पूर्व मालिक स्पष्ट रूप से कहता है कि उस ने उक्त जमीन का मुख्तार नियुक्त करने और जमीन बेचने का अधिकार किसी को नहीं दिया तो वह सही है। उसे यह कहने की भी आवश्यकता नहीं है कि उस पर हस्ताक्षर उस के हस्ताक्षर जैसे लगते हैं। जब उस ने खुद कोई मुख्तारनामा निष्पादित नहीं किया तो उसे स्पष्ट कहना चाहिए कि वे हस्ताक्षर उस के नहीं हैं, वह मुख्तारनामा फर्जी है। यदि उस पर दस्तखत उस के हों भी तो भी वे धोखे से कराए गए हैं और उस वक्त तक कथित मुख्तार को वह जानता तक नहीं था। उस के खुद के तीन बेटे हैं यदि मुख्तार ही नियुक्त करना होता तो उन में से किसी को करता। एक अजनबी को क्यों करता? आप इसी आशय का एक शपथ पत्र मूल स्वामी से निष्पादित करवा कर उसे दो साक्षियों के समक्ष नोटेरी से सत्यापित करवा कर रखें। यह आप के काम आएगा।
चूंकि भूमि पर स्वामित्व और कब्जा आप का है, इसलिए आप को उक्त भूमि का उपयोग जो भी करना चाहते हैं करना चाहिए। आप निश्चिंत हो कर पत्थरगड़ी करवाएँ। यदि कोई व्यक्ति उस भूमि पर अपने स्वामित्व का दावा करता है तो उसे न्यायालय जाना चाहिए, तब आप अपने बचाव के अधिकार का उपयोग कर सकते हैं। जब तक कोई व्यक्ति आप के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही नहीं करता तब तक आप को अपनी ओर से कानूनी कार्यवाही नहीं करनी चाहिए। यदि वह व्यक्ति आप के कब्जे में दखल देता है या भूमि का आप की इच्छानुसार वैध उपयोग में बाधा डालता है तो भूमि के खातेदार होने के नाते आप न्यायालय में निषेधाज्ञा हेतु दावा प्रस्तुत कर उस के विरुद्ध अस्थाई निषेधाज्ञा प्राप्त कर सकते हैं। यदि वह व्यक्ति आप के विरुद्ध उस के पास के दस्तावेजों के आधार पर कार्यवाही करता है तो उसे कार्यवाही करने दें। उस के द्वारा ये दस्तावेज या उन की प्रतियाँ न्यायालय मे प्रस्तुत करने पर उन के फर्जी होने के आधार पर आप पुलिस थाने के माध्यम से या सीधे अपराधिक न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत करें जो आप मूल स्वामी के शपथ पत्र के आधार पर कर सकते हैं।