भारत का विधिक इतिहास की कड़ियों के कारण तीसरा खंबा पर बहुत से प्रश्न एकत्र हो गए हैं। इस कारण से कुछ समय के लिए उन्हें स्थगित कर कानूनी सलाह की ओर रुख किया जाना आवश्यक प्रतीत होता है। विधिक इतिहास को जो लोग नियमित रुप से पढ़ रहे हैं उन्हें बीच में यह व्यवधान सा लगेगा। लेकिन पाठक क्षमा करें, कानूनी सलाह का काम भी तीसरा खंबा के लिए एक आवश्यक काम है। शीघ्र ही विधिक इतिहास पर वापस लौटूंगा।
- दिनेशराय द्विवेदी
जितेन्द्र भाई पूछते हैं –
प्रिय महोदय,
उत्तर-
जितेन्द्र भाई,
किसी भी किराएदार को निकालना भारत में एक समस्या बन चुका है। कारण कि जो किराएदार स्वयं अपनी मर्जी से मकान खाली नहीं करता उस से खाली कराने का उपाय केवल अदालत से मकान खाली कराने की डिक्री लेना है। मकान खाली कराने के लिए अलग अलग राज्यों के कानूनों में भिन्नता है। गांव और नगरपालिकाओं के लिए भी अलग अलग कानून हैं। आप ने यह नहीं बताया कि आप किस राज्य के किस नगर में निवास करते हैं? उस के बिना कोई भी राय दे पाना संभव नहीं है।
यदि आप किसी नगरपालिका क्षेत्र में रहते हैं तो आप के राज्य के किराय़ेदारी कानून के अंतर्गत मकान खाली कराने का मुकदमा दाखिल कर सकते हैं। केवल कानून में वर्णित आधारों पर ही मकान को खाली कराया जा सकता है। इन आधारों में सब से मजबूत आधार मकान मालिक को स्वयं के लिए अथवा स्वयं के परिवार के किसी सदस्य की आवश्यक्ता के लिए मकान की जरूरत का होना है। लेकिन आप ने यह नहीं बताया कि आप को अपने मकान की आवश्यकता है।
आप के मामले में किराएदार का व्यवहार भी मकान खाली कराने का कारण बन सकता है। क्यों कि वह महिला लगातार असभ्य व्यवहार करती है और गालियाँ देती रहती है। यह एक तरह का न्यूसेंस है। आप इस आधार पर भी मकान खाली कराने का दावा कर सकते हैं। लेकिन इस के लिए आप को पहले न्यूसेंस की शिकायत पुलिस को करनी पड़ेगी। गालियां देना एक अपराध भी है लेकिन पुलिस उस में कार्यवाही नहीं कर सकती। उस के लिए आप को खुद अदालत में शिकायत पेश करनी पड़ेगी। बाद में आप इस आधार पर भी मकान खाली कराने का दावा कर सकते हैं। आप का कहना है कि पड़ौसी भी उस से परेशान हैं तो वे गवाही भी दे देंगे।
परेशानी है कि सभी स्थानों प