लोकेश तुशावदा ने उदयपुर, राजस्थान से समस्या भेजी है कि-
मेरी पत्नी ने उसके पहले पति के खिलाफ 498ए, 406 का मुक़दमा कर 75,000/- ले कर आपसी समहति से राजीनामा कर लिया। उसके बाद मेरे साथ नाता विवाह किया फिर मेरे ओर मेरे परिवार के खिलाफ 498ए, 406 का मुक़दमा कर मुझ से 75,000/- लेकर आपसी राज़ी नामा कर लिया। अभी वो लोग मुझसे 1,20,000 रुपयों की मांग कर रहे हैं, मेरे द्वारा पैसे नहीं देने पर उन्होने मेरे ओर मेरे परिवार के खिलाफ फिर से 498ए, 406 का मुक़दमा दर्ज करवा दिया है। मेरे पास निम्न दस्तावेज़ हैं-
1, पूर्व पति पर किए गया 498ए, 406 के मुक़दमे की प्रतिलिपि,
2, पूर्व पति से 75000/- लेकर आपसी छोड़ छुट्टी की प्रतिलिपि,
3, वर्तमान पति पर किए गये 498ए, 406 की प्रतिलिपि,
4, मुझसे 75000/- लेकर किए गये राज़ीनामे की प्रतिलिपि,
5, मेरे ससुर द्वारा 1,20,000/- की डिमांड की रेकॉर्डिंग ओर पैसे नहीं देने पर केस करने की धमकी,
6, फोन पर बात की कॉल डीटेल्स,
7, पैसे नहीं देने पर किया गया 125 आईपीसी का मुक़दमा, तथा
8, पैसे नहीं देने पर किया गया 498ए, 406 के मुक़दमे की प्रतिलिपि।
इन लोगों ने व्यापार बना रखा है, इस में मेरा ससुर, मेरी पत्नी, मेरा साला सभी शामिल हैं।
समाधान-
आप के द्वारा बताए गए दस्तावेजों के आधार पर आप की पत्नी, ससुर और साले के विरुद्ध धारा 384,388,503 तथा 120 बी का अपराध बनता है। ये धाराएँ निम्न प्रकार हैं-
- उद्दापन–जो कोई किसी व्यक्ति को स्वयं उस व्यक्ति को या किसी अन्य व्यक्ति को कोई क्षति करने के भय में साशय डालता है, और तद््द्वारा इस प्रकार भय में डाले गए व्यक्ति को, कोई संपत्ति या मूल्यवान प्रतिभूति या हस्ताक्षरित या मुद्रांकित कोई चीज, जिसे मूल्यवान प्रतिभूति में परिवर्तित किया जा सके, किसी व्यक्ति को परिदत्त करने के लिए बेईमानी से उत्प्रेरित करता है, वह “उद्दापन” करता है।
- उद्दापन के लिए दंड–जो कोई उद्दापन करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दंडित किया जाएगा।
- आपराधिक अभित्रास–जो कोई किसी अन्य व्यक्ति के शरीर, ख्याति या सम्पत्ति को या किसी ऐसे व्यक्ति के शरीर या ख्याति को, जिससे कि वह व्यक्ति हितबद्ध हो कोई क्षति करने की धमकी उस अन्य व्यक्ति को इस आशय से देता है कि उसे संत्रास कारित किया जाए, या उससे ऐसी धमकी के निष्पादन का परिवर्जन करने के साधन स्वरूप कोई ऐसा कार्य कराया जाए, जिसे करने के लिए वह वैध रूप से आबद्ध न हो, या किसी ऐसे कार्य को करने का लोप कराया जाए, जिसे करने के लिए वह वैध रूप से हकदार हो, वह आपराधिक अभित्रास करता है।
120ख. आपराधिक षड़यंत्र का दंड–(1) जो कोई मॄत्यु, 2[आजीवन कारावास] या दो वर्ष या उससे अधिक अवधि के कठिन कारावास से दंडनीय अपराध करने के आपराधिक षड़यंत्र में शरीक होगा, यदि ऐसे षड़यंत्र के दंड के लिए इस संहिता में कोई अभिव्यक्त उपबंध नहीं है, तो वह उसी प्रकार दंडित किया जाएगा, मानो उसने ऐसे अपराध का दुष्प्रेरण किया था ।
(2) जो कोई पूर्वोक्त रूप से दंडनीय अपराध को करने के आपराधिक षड़यंत्र से भिन्न किसी आपराधिक षड़यंत्र में शरीक होगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि छह मास से अधिक की नहीं होगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दंडित किया जाएगा ।]
आप को चाहिए कि आप पत्नी, ससुर और साले के विरुद्ध उक्त धाराओं में संबंधित थाने में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराएँ। पुलिस कार्यवाही न करे तो न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत कर उस के अन्वेषण के लिए पुलिस को भिजवाएँ। यही दस्तावेज आप के विरुद्ध प्रस्तुत की गई प्रथम सूचना रिपोर्ट में आप के पक्ष में अन्तिम प्रतिवेदन प्रस्तुत करने पुलिस की सहायता करेंगे। यदि पुलिस फिर भी आप के विरुद्ध आरोप पत्र प्रस्तुत करती है तो न्यायालय में आप के बचाव में मजबूत साक्ष्य बनेंगे।