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यदि आपका घर सहदायिक संपत्ति है तो आप उसमें रहने मांग कर सकते हैं या बँटवारा करवा सकते हैं।

समस्या-


धनराज अमोदकर ने गुरुद्वारा नगर, जलगाँव महाराष्ट्र से पूछा है-

मेरे पिताजी के हम दो पुत्र हैं, मैं छोटा हूँ। मेरी शादी के बाद झगड़े चालू हो गए। फिर मैं अलग भाड़े का कमरा लेकर रहने लगा। मेरे जुड़वाँ बच्चे हुए हैं। मेरा वेतन कम है जिसके कारण मैं वापस अपने घर रहना चाहता हूँ लेकिन घर वालों ने मना कर दिया है, मैं क्या करूँ।

समाधान-

आपने यह नहीं बताया कि आपका घर आपके पिताजी द्वारा निर्मित है अथवा आपके दादा-परदादा से चला आता है।

यदि आपका घर आपके दादा-परदादा से चला आता है और आपके पिताजी या दादा जी को 17 जून 1956 के पहले उनके पिताजी से उत्तराधिकार में प्राप्त हुआ है तो वह सहदायिक संपत्ति है और उसमें आपका जन्म से ही अधिकार है।

यदि आपका घर पिताजी द्वारा बनवाया गया है या फिर दादाजी द्वारा बनवाया गया है और पिताजी को 17 जून 1956 या उसके बाद उत्तराधिकार में आपके पिता को प्राप्त हुआ है तो आपका उस घर पर कोई अधिकार नहीं है। आप घर वालों की इच्छा के विरुद्ध वहाँ नहीं रह सकते।

लेकिन यदि घर सहदायिक संपत्ति है तो आपको उसमें रहने का अधिकार है। आप उस घर में जा कर रह सकते हैं। उसका बँटवारा करवा कर अपना हिस्सा अलग प्राप्त कर सकते हैं। आप किसी स्थानीय  वकील से परामर्श करके आगे कार्यवाही कर सकते हैं।

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