समस्या-
सवाई माधोपुर, राजस्थान से चम्पाराम ने पूछा है –
मेरी शादी 23 जून 1999 को हुई थी। मेरी पत्नि दो बार गर्भवती (Ectopic prig) हुई तथा फेलोपियन ट्यूब में संक्रमण (Infection) होने के कारण दिनांक 14/11/2005 तथा 08/04/2006 को उसका ऑपरेशन हुआ। हमने संतान के लिए खूब इलाज करवाया और अत्यधिक संक्रमण के कारण मेरी पत्नि की दोनों फेलोपियन ट्यूब निकाल दी गई। मैंने मेरी पत्नि का सवाई मानसिंह अस्पताल, जयपुर में दिनांक 16 दिसम्बर 2010 से 25 जनवरी 2011 तक आई वी एफ (In vitro Fertility) ईलाज भी करवाया, लेकिन सफलता नहीं मिली। सामाजिक परम्पराओं, रूढ़ि तथा रीति-रिवाजों को निभाने तथा वृद्धावस्था में सहारे हेतु संतान चाहने के लिए उपरोक्त परिस्थितियों के चलते मजबूरी में हम दोनों पति-पत्नी तथा हमारे परिवार व रिश्तेदारों ने यह निर्णय लिया कि मैँ दूसरी शादी कर लूँ। यदि मैं दूसरी शादी करता हूँ तो मेरी पत्नी को कोई आपत्ति नहीं है तथा शादी के बाद भी मेरी पहली पत्नी मेरे साथ ही रहेगी। मैं अनुसूचित जनजाति वर्ग के अंतर्गत आता हूँ तथा हिन्दू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 2 (2) के अनुसार अनुसूचित जनजाति वर्ग पर हिन्दू विधि लागू नहीं होती अतः जनजाति वर्ग का सदस्य अपनी परम्पराओं, रूढ़ि तथा रीति-रिवाजों के अनुसार शादी कर सकता है। मैं सरकारी कर्मचारी हूं क्या मैं मेरी पहली पत्नी की सहमति से दूसरी शादी कर सकता हूँ।
समाधान-
आप अनुसूचित जनजाति के सदस्य होने के नाते यदि आप के यहाँ एक पत्नी के रहते दूसरे विवाह की परंपरा हो तो आप दूसरा विवाह कर सकते हैं।
लेकिन आप राजस्थान सरकार के कर्मचारी हैं। जब कोई व्यक्ति किसी सेवा में प्रवेश करता है तो वह अपने नियोजक के साथ सेवा संविदा में प्रवेश करता है। तब उस पर कुछ कामों को करने पर रोक लग जाती है। जिन कामों को करने से उसे रोक दिया गया है उन कामों का करना दुराचरण माना जाता है जिस के लिए उसे अधिकतम सेवा समाप्ति का दंड दिया जा सकता है। राजस्थान राज्य कर्मचारी सेवा नियमों के आचरण नियमों में किसी भी कर्मचारी के द्वारा दूसरा विवाह करना एक दुराचरण है। इस दुराचरण के लिए राज्य सेवा में रहते हुए कोई एक पत्नी के होते हुए दूसरा विवाह करता है तो उस कर्मचारी की सेवाएँ समाप्त की जा सकती हैं। आप की व्यक्तिगत विधि में एक पत्नी के रहते हुए दूसरा विवाह किया जाना कानूनी रूप से संभव होते हुए भी इस तरह का दूसरा विवाह आप राज्य सेवा में दुराचरण माना जाएगा और इस के लिए आप को सेवाच्युति का दंड दिया जा सकता है। राजस्थान पुलिस के कांस्टेबल लियाकत अली ने मुस्लिम विधि में अनुमत होते हुए दूसरा विवाह किया था जिस के लिए उसे सेवाच्युति का दंड दिया गया। उस ने सेवाच्युति के दंड को चुनौती दी लेकिन उच्चतम न्यायालय ने उस के दंड को उचित मानते हुए बरकरार रखा।
इस सेवाच्युति के दंड से बचने के लिए आप को अपने नियोक्ता अधिकारी से दूसरा विवाह करने के पूर्व लिखित अनुमति प्राप्त करनी होगी। जो मिलना अत्यन्त कठिन ही नहीं लगभग असंभव है। आप के लिए दूसरा विवाह करने का एक मार्ग यह है कि आप अपनी पत्नी से सहमति से तलाक प्राप्त करें और उस के बाद दूसरा विवाह करें। पर दूसरा विवाह करने के जो कारण आप ने बताए हैं वे बहुत हलके प्रतीत होते हैं। इन सारी समस्याओं का एक हल यह भी हो सकता है कि आप किसी बच्चे को दत्तक ग्रहण कर लें। उस से आप का परिवार भी बना रहेगा और संतान सुख भी आप को प्राप्त होगा।