समस्या-
ताजपुर, जिला-समस्तीपुर, राज्य-बिहार से पंकज कुमार ने पूछा है-
स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया की शाखा मालपुर (कोड 08396) जिला वैशाली, बिहार के शाखा प्रबंधक श्री बैजू पासवान ने मुझे अपनी शाखा में डाटा एंट्री कार्य के लिए प्राइवेट से आठ हजार रुपया मासिक पर नौकरी रखा था। मैं ने 23 अप्रैल 2012 से काम शुरू किया। मुझे एलसीपीसी रजिस्टर दिया गया जिस पर. खाता सं., सीआईएफ नंबर, खातेदार का नाम और तिथि एंट्री करना पड़ता था। 23 अप्रैल 2012 से कार्य करता रहा। इसके अलावा मुझसे और भी काम कराया गया। जैसे पानी पिलाना, गेट खोलना या बंद करना, छायाप्रति करवाकर लाना, फाइल बढ़ाना इत्यादी। यानि शाखा प्रबंधक महोदय के आदेसनुसार जो भी कार्य दिया जाता मैं वो सभी कार्य करता था। मैं उनसे जब भी अपना पारिश्रमिक माँगा तो उन्होंने मुझे केवल आश्वासन देते रहे कि तुम काम करते रहो, एजीएम बदल गए हैं इसलिए तुम्हारा भुगतान होने में देरी हो रही है। तुम्हारा काम अच्छा है इसी तरह काम करते रहो। बहुत जल्द ही तुम मेरे साथ एजीएम के यहाँ चलना वहीं से आदेश लेकर तुम्हारा भुगतान कर दूंगा। इसी बीच बहुत कहने पर जून में 1,000=00 रुपया तथा अगस्त में 2,000=00 रुपया एडवांस दिए थे। मैं इनके आश्वासन पर चुपचाप काम करता रहा। जब अक्टूबर 2012 ख़त्म होने वाला था तो मुझे डाक्टर के यहाँ जाने के लिए पैसे की जरुरत हुई तो मैंने उनसे पैसा माँगा तो उन्होंने मुझे कहा की किसी से क़र्ज़ लेकर काम चलाओ और 09 या 10 नवम्बर 2012 को आना तुम्हारा पूर्ण भुगतान कर दिया जायेगा। जब मै 09 तारीख को बैंक पर गया तो उन्होंने मुझे कहा की तुम्हारा तो तीन हजार रुपया ही बनता है। मैं स्तब्ध! रह गया। जब मैं उनसे हाथ जोड़कर विनती करने लगा तब उन्होंने गार्ड को बुलाकर मुझे गेट से बाहर करवा दिया। 23 अप्रैल 2012 से अक्टूबर 2012 तक कार्य किया जिसका पारिश्रमिक 48,000=00 (अड़तालीस हजार रुपया) बनता है 3,000 काटकर 45,000=00 (पैतालीस हजार) बकाया निकलता है। लेकिन वो नहीं दे रहे हैं। मैं बहुत परेशान हूँ, कुछ समझ नहीं आ रहा है। साथ ही कोई लिखित उन्होंने मुझे नहीं दिया है। हां काम का रिकॉर्ड जरुर है। मुझे क्या करना चाहिए?
समाधान-
आम तौर पर शाखा प्रबंधक को किसी व्यक्ति को नौकरी पर रखने का कोई अधिकार नहीं होता है। इस का अधिकार एजीएम या किसी उच्चाधिकारी को ही होता है। हाँ यदि उच्चाधिकारी यह अवश्य कर सकते हैं कि शाखा में कार्याधिक्य होने पर कुछ काम आकस्मिक कर्मचारी लगा कर करवा सकते हैं। जिस के लिए कुछ धनराशि खर्च करने का अधिकार शाखा प्रबंधक को मिल जाता है। ऐसी स्थिति में वे आकस्मिक कर्मचारी नियुक्त कर सकते हैं। ऐसा लगता है कि आप के शाखा प्रबंधक ने एजीएम के इस आश्वासन पर कि उन्हें आकस्मिक कर्मचारी रखने की अनुमति दे दी जाएगी आप को नियोजित कर काम करवा लिया और बाद में एजीएम ने अनुमति देने से इन्कार कर दिया। ऐसे मामलों में यह साबित करना कि आप को किसी निश्चित वेतन पर नियोजित किया गया था, आप ने किस अवधि में काम किया और आप का कितना वेतन बकाया है यह साबित करना अत्यन्त कठिन होता है।
लेकिन आप ने काम किया है तो उस की मजदूरी आप को मिलनी चाहिए। आप को अपनी मजदूरी प्राप्त करने के लिए मजदूरी भुगतान अधिनियम के अंतर्गत तुरंत एक आवेदन प्राधिकारी मजूदूरी (वेतन) भुगतान अधिनियम के समक्ष प्रस्तुत करना चाहिए। इस आवेदन में आप को उक्त शाखा के ब्रांच मैनेजर, तत्कालीन ब्रांच मैनेजर बैजू पासवान तथा एजीएम को पक्षकार बनाना चाहिए। मौखिक साक्ष्य से तथा दस्तावेजी साक्ष्य से साबित किया जा सकता है कि आप को आठ हजार रुपए प्रतिमाह पर नियोजित किया गया था। और आपने अप्रेल से अक्टूबर तक काम किया है। यदि दस्तावेजी साक्ष्य़ आप के पास नहीं है तो बैंक द्वारा जवाब प्रस्तुत करने के उपरान्त तथा आप की साक्ष्य प्रस्तुत होने के पहले दीवानी प्रक्रिया संहिता के आदेश 11 नियम 12 व 14 के अंतर्गत आवेदन प्रस्तुत कर आप अपने पक्ष के प्रासंगिक दस्तावेज बैंक से प्रस्तुतु कराने के लिए न्यायालय से प्रार्थना कर सकते हैं। इस आवेदन को प्रस्तुत करने के लिए आप को किसी स्थानीय वकील या फिर किसी ट्रेड यूनियन अधिकारी की सेवाएँ प्राप्त करनी चाहिए। भविष्य में आप को ध्यान रखना चाहिए कि बिना किसी लिखित आदेश, नियुक्ति पत्र या अनुबंध के कहीं पर भी कोई मजदूरी न करें। यह भी ध्यान रखें कि किसी प्रपत्र या पंजी में आप की प्रतिदिन की उपस्थिति अंकित की जाती है या नहीं। जहाँ तक हो सके उपस्थिति का सबूत अपने पास रखें।