समस्या-
किशोर ने डगनिया तालाब, रायपुर छत्तीसगढ़ से पूछा है-
मेरे पिताजी ने दो शादी की है पहली मेरी मां से (जिससे मैं और मेरी एक बड़ी बहन का जन्म हुआ है) उनका मेरी मां से तलाक नहीं हुआ है और उन्होंने मेरी बहिन जब चार वर्ष की हुई तब से वे दूसरी स्त्री के साथ रहने लगे। उससे विधिवत शादी करने का कोई प्रमाण नहीं है। इस दूसरी स्त्री से उन्हें कोई संतान नहीं है। मेरे कुछ सवाल हैं-
१. क्या मेरे पिताजी की सारी सम्पत्ति जो उनके खुद के नाम से है वो मुझे मिलेगी?
२. अगर पिताजी को विरासत में (मेरे दादा जी से) मिली पुश्तैनी सम्पत्ति दूसरी पत्नी के नाम किया है तो क्या वो वापिस मिलेगी?
३. पिताजी ने नौकरी की सारी कमाई एक घर बनवाने में लगा दी कुछ पैसे उनकी दूसरी पत्नी ने अपनी कमाई के भी लगाए, और बाद में पिताजी ने वो घर उसी के नाम पर किया। तो क्या हमारा उस पर कोई अधिकार नहीं?
४. पिताजी की दूसरी पत्नी ने वो घर अपने किसी भाई के बच्चें को दिया, क्या ऐसा हो सकता है?
समाधान-
आपके पिताजी ने पहला विवाह आपकी माताजी से किया। उनके जीवित रहते और उन्हें तलाक दिए बिना वे दूसरा विवाह नहीं कर सकते। उनका कथित दूसरा विवाह वैध नहीं है। आपके पिता और उस दूसरी स्त्री के बीच केवल लिव इन रिलेशन का सम्बन्ध है।
आपके पिताजी के नाम दो तरह की सम्पत्ति हो सकती है। पहली वह जो उन्होंने जो स्वयं अर्जित की है और दूसरी वह जो उन्हें उत्तराधिकार में प्राप्त हुई है। उन्हें उत्तराधिकार में मिली सम्पत्ति यदि आपके दादा या परदादा को 17 जून 1956 के पूर्व उनके पुरुष पूर्वज से उत्तराधिकार में प्राप्त हो चुकी थी तो ऐसी संपत्ति और ऐसी सम्पत्ति की आय से निर्मित अन्य सम्पत्तियाँ सहदायिक संपत्तियाँ हैं. इस संपत्ति में आपको अर्थात पुत्र को जन्म से ही अधिकार उत्पन्न हो चुका है, तथा आपकी बहिन अर्थात पुत्री को भी 2005 से अधिकार उत्पन्न हो चुका है। ऐसी सम्पत्ति को आपके पिता उनकी दूसरी पत्नी के नाम नहीं कर सकते। क्योंकि ऐसी सम्पत्ति में आपका तथा आपकी बहिन का भी हिस्सा है। जब तक ऐसी सम्पत्ति का विभाजन नहीं हो जाता है तब तक आपके पिता उनके हिस्से को भी हस्तान्तरित नहीं कर सकते। वे उस सम्पत्ति के बारे में कोई वसीयत करते हैं तो वह भी केवल अपने हिस्से की कर सकते हैं।
ऐसी सम्पत्ति को यदि आपके पिता ने किसी दस्तावेज (दान पत्र या विक्रय पत्र) द्वारा दूसरी पत्नी को हस्तान्तरित किया है तो वह गलत है आप उसे चुनौती दे सकते हैं और ऐसी सम्पत्ति के विभाजन के लिए वाद संस्थित कर सकते हैं। इसी वाद में आप अस्थायी निषेधाज्ञा का आवेदन प्रस्तुत कर वाद के निर्णय तक ऐसी सम्पत्ति को हस्तान्तरित करने और खुर्द-बुर्द करने से रोके जाने की अस्थायी निषेधाज्ञा का आदेश न्यायालय से प्राप्त कर सकते हैं।
जो सम्पत्ति आपके पिता ने अपनी नौकरी की आय से निर्मित की है जिसमें उनकी दूसरी पत्नी का भी धन लगा है यदि वह दूसरी पत्नी के नाम से ही खरीदी गयी है तो इसका अर्थ यह है कि उन्होंने अपना धन दूसरी पत्नी को उसके नाम से जमीन खरीदने और उस पर मकान निर्माण के लिये दिया है। अपना खुद का अर्जित धन वे इस प्रकार देने को स्वतंत्र हैं। वह सम्पत्ति जो दूसरी स्त्री के नाम है उस पर आपका, आपकी माताजी और बहिन का कोई अधिकार नहीं है।
आपके पिताजी की दूसरी पत्नी अपनी सम्पत्ति किसी को भी दे सकती हैं उनको ऐसा अधिकार है, चाहे वह किसी भी तरह उसे हासिल हुई हो।
यदि उन्होंने कोई सम्पत्ति स्वयं के नाम से निर्मित की है और उसकी कोई वसीयत नहीं की है तो उनके जीवनकाल के उपरान्त उसमें आपको, आपकी बहिन और आपकी माताजी को समान रूप से उत्तराधिकार प्राप्त होगा।