समस्या-
अशोक पाल ने ग्राम विझावल पोस्ट नेवाडा, जिला गाजीपुर उत्तरप्रदेश से पूछा है-
वर्ष 1996 में हमारे बाबा ने अपने पौत्रों के नाम रजिस्टर्ड वसीयत लिखी। बाद में तहसील से नामांतरण हो चुका है। इस समय चकबंदी न्यायालय में चल रहे मुकदमे में वसीयत ग्रहिता का बयान हुआ। 1996 में ग्रहिता का उम्र 3 साल थी। वकील के कहने पर मैंने बयान दिया कि जब वसीयत लिखी जा रही थी तब हम चारों भाई व माँ उपनिबन्धक ऑफिस आए थे। जबकि हम लोग नहीं गये थे। विपक्ष के वकील ने इस बयान को मुद्दा बना लिया है कि 3 साल का लड़का उस दिन आया था और सब देख रहा था और समझ रहा था कि उपरोक्त व्यक्ति हस्ताक्षर बना रहे हैं। इस बयान से क्या मेरी वसीयत संदिग्ध लग रही है।
समाधान-
सबसे पहले तो आपके वकील को सोचना चाहिए था कि किसका बयान कराना है। वकील का कर्तव्य है कि वह किसी का भी बयान होने के पहले यह समझे कि उसका गवाह क्या कहेगा और उससे क्या क्य पूछा जाएगा। उसके बाद वह अपने गवाह को ठीक से समझाए और यान कराए। लगता है गवाह को समझने-समझाने में आपके वकील से गलती हुई है।
किसी भी वसीयत को प्रमाणित करने के लिए यह आवश्यक है कि उस वसीयत पर जिन दो गवाहों के हस्ताक्षऱ हैं। वसीयत करने वाले ने उनके समक्ष हस्ताक्षर किए हों। उन गवाहों में से कम से कम एक अदालत में यह बयान दे कि वसीयत करने वाले ने वसीयत पर उनके सामने हस्ताक्षर किए थे और दूसरा बचा हुआ गवाह उसका खंडन न करे। यदि ऐसा किया गया है तो वसीयत प्रमाणित है और आपके बयान से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। वसीयत से जिन लोगों का लाभ हो रहा है उनके उप निबन्धक कार्यालय जाने या न जाने से कोई प्रभाव इस मुकदमे पर पड़ने वाला नहीं था। रक नह पडतफ
आपके वकील को चाहिए कि उसने वसीयत को प्रमाणित करने वाले गवाह के हस्ताक्षर नहीं कराए हों तो कराए। यदि कोई गवाह उपलब्ध नहीं हो तो उन गवाहों के हस्ताक्षर पहचानने वाले के बयान कराए। विपक्षी वकील यदि इस बात का हौवा बना रहा है कि 3 वर्ष का बच्चा नहीं समझता तो यह गलत है। 3 साल का बच्चा यह समझता है कि वह कुछ लोगों के साथ किसी सरकारी कार्यालय गया था। शेष चीजें से बाद में दस्तावेज देखने से पता लग सकती हैं। आपके वकील यदि अच्छे हैं तो बहस के दौरान यह तथ्य स्पष्ट कर सकते हैं।