पीयूष जैन ने उदयपुर, राजस्थान से समस्या भेजी है कि-
मेरा नाम पीयूष जैन है उदयपुर का रहने वाला हूँ। हमारे दादा के दो बेटे थे। मेरे पिता जी अलग रहते थे और जो बेटा साथ रहता था उन्होंने सभी सम्पति पर अपना अधिकार कर लिया है। वो हमे हमारे दादा की वसीयत भी नहीं बता रहे हैं। हम क्या करे कि वो हमें वसीयत दिखाए। हमें लगता है की दादा ने हमारे नाम पे भी कुछ किया है। वसीयत देखने के लिए हम क्या करें?
समाधान-
यदि आप के दादा जी की सारी संपत्ति पर चाचा ने कब्जा कर लिया है और कह रहे हैं कि पिता उन के नाम वसीयत कर गए हैं वैसी स्थिति में उन की बात सही हो सकती है। लेकिन यदि सही है तो उन्हें वसीयत को सामने ले आना चाहिए था। वसीयत उजागर न करने से संदेह हो रहा है कि या तो वसीयत है ही नहीं और है तो उस में आप के लिए भी कुछ है।
इस समस्या का यही उपाय है कि आप यह समझ लीजिए कि आप के दादा ने कोई वसीयत नहीं की है और दादा की संपत्ति का उत्तराधिकार के अनुसार बंटवारा हो जाना चाहिए। इस स्थिति में आप के पिता, चाचा और बुआओं को समान हिस्सा मिलेगा। आप के पिताजी को चाहिए कि वे दादाजी की छोड़ी हुई संपत्ति में अपना समान हिस्सा मानते हुए उस के बँटवारे का दीवानी वाद दीवानी न्यायालय में संस्थित करें जिस में दादा जी के सभी उत्तराधिकारियों को प्रतिवादी बनाएँ। यदि दादाजी ने कोई वसीयत की होगी तो वह जिस भी प्रतिवादी के हक में होगी वह उसे न्यायालय के सामने लाएगा। उस से यह जाँच भी हो जाएगी कि वसीयत सही है अथवा नहीं है, कहीं वह बनावटी और कूटरचित तो नहीं है और यह भी पता लग जाएगा कि वसीयत के द्वारा किसे क्या वसीयत किया गया है और किसे वंचित रखा गया है।