समस्या-
मेरे दादाजी को 1947 में अपने पिता जी से वसीयत के द्वारा दस एकड़ कृषि भूमि मिली थी। जिसे उन्हों ने अपनी पत्नी अर्थात मेरी दादी को वसीयत कर दिया। मेरी दादी ने उस भूमि को मेरे पिताजी और उन के तीन भाइयों को वसीयत कर दिया। मेरे पिताजी ने अपने हिस्से की जमीन का एक भाग 2010 में विक्रय किया तब मेरी बुआ ने मुकदमा कर दिया। हमें पैसों की जरूरत थी इस कारण से हमने बुआ को कुछ पैसा दे कर उस से समझौता कर लिया। अब पिताजी दुबारा शेष जमीन का एक हिस्सा बेचना चाहते हैं। उक्त भूमि के बेच देने पर मेरी बहनें मुकदमा करने की धमकी दे रही हैं। यदि वे मुकदमा कर देती है तो क्या मेरी संपत्ति मकान या मेरे बैंक खाते पर कोई खतरा है?
-दीपक कुमार, पानीपत, हरियाणा
समाधान-
आप के पिता ने उस संपत्ति का एक भाग पूर्व में विक्रय किया था। उस में आप की बुआ को दखल देने का कोई अधिकार नहीं था। लेकिन फिर भी आप के पिता ने कुछ परिस्थितियों को देखते हुए आप की बुआ से समझौता कर उन्हें कुछ रुपया दे दिया। लेकिन यह रुपया दे देने से वह संपत्ति पुश्तैनी या पैतृक नहीं हो जाती। पैतृक संपत्ति तो तब होती जब उसे आप के पिता व उन के भाई आप की दादी से वसीयत में प्राप्त करने के स्थान पर उसे उत्तराधिकार में प्राप्त करते। अब आप के पिता के पास जो भूमि शेष है उस में किसी का कोई हिस्सा नहीं है। वे अपने जीवन काल में उक्त संपत्ति को विक्रय कर सकते हैं।आप की बहिनों को उस में दखल देने का कोई अधिकार नहीं है। इस संपत्ति को आप के पिता द्वारा विक्रय कर देने से आप की स्वयं की संपत्ति या बैंक जमाओं पर आप की बहिनों का कोई अधिकार उत्पन्न नहीं होगा। यदि वे किसी तरह का मुकदमा करती भी हैं तो उन्हें कोई राहत प्राप्त नहीं होगी।