तीसरा खंबा

विक्रय को निरस्त कराने हेतु दीवानी वाद संस्थित करें।

समस्या-

सनी शुक्ला, ने छतरपुर (मध्य प्रदेश) से पूछा है-


सर, मैं और मेरे चाचा पैतृक मकान में एक संयुक्त परिबार में बिना बंटबारे के रहते हैं। मेरे द्वारा पूरे मकान के निर्माण कार्य से लेकर बिजली बिल ,संपत्ति कर का भुगतान किया गया। चाचा के लड़के ने चाचा से सरकारी योजना बोल कर धोखे से मुख्तारनामा करवा लिया और मकान का आधा हिस्सा बेच दिया। जबकि चाचा मकान नहीं बेचना चाहते और मुझसे भी कोई सहमति नहीं ली गयी और ना ही बँटवारा हुआ है। अब चाचा के लड़के की मृत्यु हो गयी है जिन्होंने मकान बेच दिया था। कृपया करके कोई उपाय बताए ताकि अपना मकान पुनः वापिस ले सके।


समाधान-

मकान तो अभी भी आपके ही संयुक्त कब्जे में है। आपके चाचा के लड़के ने अपने पिता से छल करके मकान का आधा हिस्सा बेचा है। उसका कब्जा नहीं दिया गया है। कौनसा आधा हिस्सा बेचा है यह तय नहीं किया जा सकता क्यों कि अभी संपूर्ण मकान सामुहिक कब्जे में है और सब की सहमति के बिना किसी भी हिस्से का कब्जा किसी अन्य को नहीं दिया जा सकता। इस तरह वास्तविक रूप से तो मकान आपके ही पास है।

आपको चाहिए कि आप किसी भी तरह से मकान का कब्जा खरीददार को न दें। यदि से कब्जा लेना है तो उसे अदालत में जा कर मुकदमा करना चाहिए, उसे ऐसा कहें।

आपका कहना है कि आपको जानकारी मिली है कि आधा हिस्सा बेच दिया गया है। यह भी पता करें कि क्या विक्रय पत्र का पंजीयन करा दिया गया है। क्योंकि विक्रय पत्र की रजिस्ट्री के बिना बेचान पूर्ण नहीं होता।

सबसे पहले आपके चाचा को तुरन्त एक दिन की भी देरी किया बिना एक नोटिस दे कर पुत्र को दी गयी पावर ऑफ अटार्नी (मुख्तारनामा) निरस्त कर देना चाहिए। यदि रजिस्ट्री न की गयी हो तो मुख्तार नामे के आधार पर रिजस्ट्री न कराने के लिए दावा करके रजिस्ट्री कराने पर रोकने के लिए अस्थायी निषेधाज्ञा प्राप्त करनी चाहिए।

यदि विक्रय पत्र की रजिट्री हो गयी हो तो विक्रय को निरस्त कराने के लिए दावा कर के जबरन कब्जा प्राप्त करने पर रोक के लिए अस्थायी निषेधाज्ञा प्राप्त करनी चाहिए। इस काम को किसी अच्छे स्थानीय दीवानी मामलों के वकील की सेवाएँ ले कर करवाना चाहिए।

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