पी.के. लहरी ने पूछा है –
मेरे साले की पत्नी अपने मायके गई हुई है और आने से मना कर रही है। उसे लेने के लिए दो बार जा चुके हैं। एक बार पहले भी वह गई थी और बहुत समझाने पर आई थी। विवाह 19 अप्रेल 2010 को हुआ था। उन के मायके वाले कहते हैं कि लड़की वहाँ नहीं जाएगी। लड़का बहुत परेशान रहता है, बहुत रोता है। कहता है कहीं पति के सात पूरे रिश्ते वालों को दहेज प्रथा में ना फँसा दे। हमें क्या करना चाहिए?
उत्तर –
लहरी जी,
अभी विवाह को एक साल भी नहीं हुआ है। इतनी जल्दी पति-पत्नी में विश्वास पैदा होना आसान नहीं है। अक्सर होता यह है कि जैसे ही लड़की ससुराल पहुँचती है उसे उस के दायित्व बता दिए जाते हैं और सभी उस से उसी के अनुरूप अपेक्षा करते हैं, जिन्हें निभा पाने में वह स्वयं को सक्षम नहीं पाती है। वह नए परिवार में आई है, उसे इस नए परिवार को समझने में समय लगता है। यदि ससुराल में एक भी व्यक्ति उस की बात को समझने और उसे अपना समझ कर समझाने वाला हो तो बात बन जाती है। यह काम आम तौर पर अच्छी सास कर सकती है। लड़की को लगे कि सास और उस की माँ में कोई अधिक अंतर नहीं है तो परेशानी हल हो सकती है।
यदि आप के प्रयत्नों से बात बन जाए तो ठीक है, अन्यथा आप साले की पत्नी और मायके वालों से साफ बात करें कि विवाह के उपरांत तो लड़की को अपने पति के साथ ही रहना चाहिए और वह उन के साथ नहीं रहना चाहती है तो उस का कोई हल निकाला जाए। आपसी बातचीत से इस समस्या का हल निकालने का प्रयत्न करें। यदि इन सब प्रयत्नों का कोई हल नहीं निकलता है तो फिर आप अपने साले से हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 9 में दाम्पत्य अधिकारों की प्रत्यास्थापना के लिए आवेदन प्रस्तुत कराएँ जिस में सारे तथ्यों को बताते हुए अपनी आशंकाओं को भी अवश्य अंकित कराएँ।