तीसरा खंबा

विवाह नहीं, तो तलाक कैसा

मैं एक हिन्दू परिवार से हूँ और लगभग साढ़े आठ साल पहले मुझे एक मुस्लिम लड़की से प्रेम हो गया। कुछ ऐसी परिस्थितियाँ बनी की मुझे उस के साथ रहना आरंभ करना पड़ा। हमारी कभी कोई शादी नहीं हुई। न आर्यसमाज में, न कोर्ट में और न ही कोई निकाह हुआ। लेकिन साथ रहने के कारण उस का नाम मेरे राशनकार्ड, वोटर लिस्ट, बच्चे के स्कूल में मेरी पत्नी के रूप में लिखा है। मैंने कभी इस का विरोध नहीं किया क्यों कि सभी तरीके से हम पति पत्नी की तरह ही रहते थे।

स का बर्ताव मेरे प्रति बहुत ही बुरा और निन्दनीय हो चला है। वह अपने साथ हुई सभी खराब बातों के लिए मुझे जिम्मेदार बताती है। लगभग हर रोज हमारे बीच झगड़ा होता है। वह पुलिस थाने तक चली जाती है। उस का व्यवहार बहुत हिंसक है। उस की मेरे परिवार से ही नही पास पड़ौस वालों से भी नहीं बनती। दो बार उस का झगड़ा आस-पास वालों से हो चुका है। जिस के कारण मुजे थाने में जा कर समझौता करना पड़ा। उस ने एक बार मेरे खिलाफ भी पुलिस में शिकायत की जो आपसी समझौते से समाप्त हुई।

मैं उस के इस बर्ताव से परेशान हो कर पिछले चार माह से ब्वाय्ज होस्टल में रह रहा हूँ। मैं उस से तलाक लेना चाहता हूँ लेकिन वह मुझे 498-ए की धमकी देती है और उस की पहुँच राजनैतिक दलों तक भी है जिस के कारण मुझे अपने भविष्य के प्रति डर लगा रहता है।

मैं अपनी एक मित्र से विवाह करना चाहता हूँ लेकिन वकील साहब ने कहा है कि बिना तलाक के आप विवाह नहीं कर सकते। मैं ने हिम्मत कर के उन के व्यवहार को और घऱेलू हिंसा, मानसिक व शारीरिक संताप को आधार बना कर तलाक के लिए प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया लेकिन मुझे सही निर्देश नहीं मिल पा रहा है। मेरी एक साढ़े आठ वर्ष की बेटी भी है जिस का भविष्य मुझे उस के साथ अंधकारमय लगता है। कृपया सलाह दें मुझे क्या करना चाहिए?

-अनुतोष मजूमदार, भिलाई छत्तीसगढ़

सलाह-

प ने सब से बड़ी गलती तो यह की है कि आप ने तलाक की अर्जी दाखिल कर दी है। यदि इस अर्जी का नोटिस जारी न हुआ हो तो उसे तुरंत वापस ले लें, अर्थात उसे एज विद्ड्रॉन निरस्त करवा लें। तलाक की अर्जी में सब से पहले यह लिखना पड़ता है कि दोनों पक्षकारों पर कौन सी व्यक्तिगत विधि लागू होती है तथा विवाह कब और किस विधि से संपन्न हुआ है। आप ने भी तलाक की अर्जी में यह सब लिखा होगा। आप उसे किसी भी प्रकार से साबित नहीं कर सकते। आप हिन्दू हैं और आप की साथी मुस्लिम इस कारण हिन्दू या मुस्लिम विधि से कोई भी विवाह आप दोनों के बीच तब तक संपन्न नहीं हो सकता है जब तक कि आप दोनों में से कोई एक अपना धर्म परिवर्तन न कर ले। यदि आप हिन्दू धर्म त्याग कर मुस्लिम हो जाते तो आप के बीच मुस्लिम विधि से निकाह संपन्न हो सकता था। यदि आप की साथी हिन्दू हो जाती तो हिन्दू विधि से विवाह हो सकता था। आप के बीच विवाह की एक ही रीति से हो सकता था वह विशेष विवाह अधिनियम के अंतर्गत विवाह अधिकारी के समक्षन पंजीकरण करवा कर वह हुआ नहीं है। इस कारण से आप दोनों के बीच कोई विवाह संपन्न नहीं हुआ है। जब विवाह ही संपन्न नहीं हुआ है तो फिर तलाक या विवाह विच्छेद के लिए कोई मुकदमा चल ही नहीं सकता। केवल आप के द्वारा प्रस्तुत याचिका के उत्तर में आप की साथी आप के इस अभिवचन को स्वीकार कर ले कि विवाह आप के द्वारा बताई गई विधि से संपन्न हुआ है तो न्यायालय यह मान लेगा कि विवाह हुआ है। न्यायालय के मान लेने से आप की मुसीबतें कई गुना बढ़ जाएंगी।

चूंकि आप का विवाह संपन्न नहीं हुआ है इस कारण से आप अपनी नई मित्र से विवाह कर सकते हैं उस में कोई बाधा नहीं है। आप ऐसा तुरंत कर सकते हैं। आप इस के लिए आर्य समाज की पद्धति या परंपरागत हिन्दू विवाह की विधि अपना सकते है या फिर विशेष विवाह अधिनियम के अंतर्गत विवाह कर सकते हैं।

प का आप के साथी के साथ विवाह संपन्न नहीं हुआ है इस कारण से आप की साथी आप के विरुद्ध धारा 498-ए भा.दं.संहिता का मुकदमा नहीं कर सकती।  यदि वह करती है तो उसे इस आधार पर चुनौती दी जा सकती है कि आप के बीच कोई वैवाहिक संबंध नहीं रहा है। लेकिन आप की साथी घरेलू हिंसा अधिनियम के अंतर्गत राहत प्राप्त करने के लिए आवेदन प्रस्तुत कर सकती है और राहत भी प्राप्त कर सकती है। लेकिन वह भी उस के लिए इतना आसान नहीं होगा।

स सब के बाद आप के लिए केवल एक समस्या रह जाएगी कि आप की बेटी उस की माता के साथ रह रही है। आप को उस की कस्टडी प्राप्त करने में बहुत बाधाएँ आएंगी। आम तौर पर पुत्री की कस्टडी पिता को नहीं मिलती है। 18 वर्ष की उम्र की होने पर वह इच्छानुसार किसी के भी पास रह सकती है। लेकिन उस के पूर्व माता की कस्टडी से पिता को पुत्री तभी मिल सकती है जब कि पिता अदालत के समक्ष ठोस सबूतों के आधार पर यह साबित कर दे कि उस का भविष्य माता के पास असुरक्षित है और पिता के पास वह सुरक्षित रह सकती है और उस का लालन पालन पिता अच्छे से कर सकता है। यह साबित करना आप के लिए लोहे के चने चबाना सिद्ध हो सकता है।

Exit mobile version