पिछले दो आलेखों में मैं ने चैक अनादरण के अपराध पर लिखे आलेखों पर आई जिज्ञासाओं और प्रश्नों पर बात की थी आज उस सिलसिले को जारी रखता हूँ…..
ताऊ रामपुरिया जी पूछते हैं, ‘अब आप मेरा सवाल जरा ध्यान से सुनिये. आपकी यह श्रंखला मैं बडे ध्यान से पढता आ रहा हूं और चूंकि अनेक १३८ के केस मैने अपना धन वसुलने के लिये लगा रक्खे हैं सो इसकी कुछ जानकारी मुझे भी है. अस्तु, एक चेक कभी किसी को दिया गया था. किसी नगद की लेनदारी पेटे. समझिये ५ साल पहले. नगद वापस यानि कच्चे के पैसे लौटा दिये गये. चेक जो गारंटी स्वरुप दिया गया था वो वापस लेना देना दोनो भूल गये. अब आपस में दोनो का ही कोई लेन देन या व्यवहार लिखा पढ़ी में नहीं है. लेकिन इतने समय बाद अगर वो चेक बैंक मे भेज कर बाऊंस करवा कर १३८ का मुकदमा लगा दे तो क्या होगा? चेक जारीकर्ता को कुछ बचने का उपाय है या नहीं? यहां एक बात ध्यान रखने लायक है कि पक्के में कोई लिखा पढी या इन्कम्टेक्स रिटर्न्स में यह धन नहीं दिखाया गया है. रामराम.
ताऊ, जी! राम राम!
मैं ने बात को पढ़ कर ध्यान से सुन लिया। बात गजब की है। व्यवहार में यह बहुत होता है और होता ही रहता है। यह विश्वास की बात है। कि चैक दाता ने तो धारक का विश्वास किया कि वह चैक को नष्ट कर देगा। लेकिन उस ने नष्ट न कर के आप के साथ विश्वासघात किया। तो कानून में उस का तोड़ भी है। यह लाख रुपये की सलाह है, गाँठ बांध कर रखिएगा। चाहें तो और पाठक भी गांठ बांध कर रख सकते हैं।
जिस वक्त रुपया चुका दिया गया उसी वक्त से वह चैक जो रुपए के बदले धारक को दिया गया था, धारक उस का न्यासी हो गया, तब तक के लिए जब तक कि वह चैक को नष्ट नहीं कर देता है या उसे चैक जारी कर्ता को वापस नहीं कर देता है। जब भी उस ने चैक को बैंक में प्रेजेण्ट किया तभी उस ने अपाराधिक न्यास भंग का अपराध कर डाला जो कि जारी रहा और 138 का परिवाद प्रस्तुत कर ने और उस पर चल रहे अभियोजन के चलते लगातार जारी रहा। अब चैक जारीकर्ता को उस के विरुद्ध अपाराधिक न्यास भंग के अपराध के लिए कार्यवाही करनी है।
चैक जारीकर्ता सब से पहले अपने बैंक से संपर्क करे। वहाँ से वह उस चैक से संबंधित चैकबुक और उस के बाद की जितनी भी चैक बुकें उसे जारी की हुई हैं उन का रिकार्ड बैंक शाखा मैनेजर से प्रमाणित करवा कर प्राप्त करे। चैक जारीकर्ता के विरुद्ध प्रयोग किए गए चैक पर तारीख छह आठ माह से अधिक पुरानी नहीं होगी। ऐसी अवस्था में यह रिकार्ड इस बात का सबूत होगा कि यदि यह चैक उसे जिस तारीख को वह देना धारक कहता है उसे दिया गया होता तो उस वक्त काम में आने वाली चैक बुक से जारी किया गया होता।
अब चैक जारीकर्ता पुलिस थाने में जा कर इस बात की रिपोर्ट कराए कि किस प्रकार अपराधिक न्यास भंग का अपराध किया गया है। पुलिस को गवाह सबूत दे कर धारक के विरुद्ध अभियोजन प्रस्तुत कराए। यदि इस मामले में पुलिस कार्यवाही नहीं करे, रिपोर्ट ही दर्ज न करे तो सीधे अदालत में परिवाद प्रस्तुत कर अभियोजन चलाया जाए। यही बात चैक जारीकर्ता को उस के विरुद्ध किए गए 138 के मुकदमे में साबित करनी होगी।
यह भी हो सकता है कि जब विश्वासघाती चैक बैंक में आने के दिन संयोग से उतना पैसा हो जिस से चैक अनादरित न हो कर उस का पैसा निकल जाए। तब भी यही अपराधिक न्यास भंग का मुकदमा चलाया जा सकता है। यहाँ एक बात समझ लें कि चैक अनादरण के अपराधिक मामले में मुकदमा होने पर चैक जारी कर्ता के पास जो भी बचाव का बिंदु हो उसे साबित करना पड़ेगा। यह भी कि इसे साबित करने के लिए हर बार क