समस्या-
एस एन यादव ने एस, 17/268, नदेसर, वाराणासी, उत्तर प्रदेश से पूछा है-
पैतृक सम्पत्ति के बँटवारे का वाद हाई कोर्ट में 1958 से चल रहा है। इसी दौरान विपक्षी पार्टी अपना हिस्सा बेच दिया और उसके बाद उसका देहान्त हो गया। अपील मेरे चाचा ने की है। मैं पैरोकार व कर्ता होने के अधिकार से मुकदमा वापस लेना चाहता हूँ। लिस पेन्डेन्स के अनुसार रजिस्ट्री का क्या प्रभाव पड़ेगा।
समाधान-
लिस पेन्डेन्स के अनुसार बँटवारे के मुकदमे का प्रभाव यह है कि जिस पक्षकार ने संपत्ति में अपना हिस्सा बेचा है संयुक्त स्वामित्व में खरीददार उसके स्थान पर प्रतिस्थापित हो गया है। बेचने वाले पक्षकार का जितना हिस्सा संयुक्त संपत्ति में था उतना हिस्सा अब खरीददार का हो गया है। यदि खरीददार उच्च न्यायालय में आकर उसका पक्ष नहीं रखता है तो उसकी अनुपस्थिति में सुनवाई की जा कर अपील का निर्णय किया जा सकता है।
आप यदि अपील को वापस लेते हैं या निरस्त करा लेते हैं तो बँटवारे की डिक्री जो निचली अदालत ने पारित की है वह अन्तिम हो जाएगी। यदि अपील में अन्तिम डिक्री की अपील की गयी है तो उस अन्तिम डिक्री का निष्पादन कराया जा सकेगा।
जिन मामलों में अदालत में मामले लम्बित होते हैं उनमें तमाम फैसलों, दस्तावेजों साक्ष्य आदि का अध्ययन किए बिना समाधान प्रस्तुत करना संभव नहीं होता। इस तरह के मामले इस फोरम की क्षमता के बाहर के हैं। इस कारण आपकी जिज्ञासा के उत्तर में केवल कानूनी स्थिति ही प्रस्तुत की जा रही है।