तीसरा खंबा

संयुक्त स्वामी तंग करते हैं तो विभाजन का वाद संस्थित करें।

समस्या-

राकेश कुमार ने बी-21/ 12 बी, ब्लॉक-बी, ओम नगर, मीठापुर, बदरपुर, दिल्ली से समस्या भेजी है कि-


र्तमान में मैं जिस मकान में रहता हूँ वह मेरी माँ के नाम है। माँ का देहान्त दिसम्बर 2014 में हो चुका है। मेरे पिता और भाई मुझ से और मेरी पत्नी से रोज लड़ाई करते हैं और कहते हैं कि यहाँ तेरा कोई हक नहीं है तू अपने बीवी बच्चों को ले कर यहाँ से निकल जा। मेरे दो छोटे छोटे बच्चे हैं। मैं जानना चाहता हूँ कि उस संपत्ति में मेरा कोई अधिकार है या नहीं है। मैं अपने पिता और भाई के विरुद्ध क्या कार्यवाही कर सकता हूँ?


समाधान-

जिस स्थान पर जो निवास करता है अथवा जिस मकान /जमीन पर जिस का कब्जा है वहाँ उसे कब्जा बनाए रखने और निवास करने का अधिकार प्राप्त है। किसी भी व्यक्ति से जिस  संपत्ति पर वह काबिज है उसे जबरन बेदखल नहीं किया जा सकता। इस तरह आप को भी मकान के उस परिसर से जिस पर आप का कब्जा है और जिस में आऐप रहते हैं जबरन नहीं निकाला जा सकता।

यह मकान माँ के नाम था तो माँ के देहान्त के साथ ही उस का उत्तराधिकार निश्चित हो चुका है। यदि वह मकान किसी के नाम वसीयत था तो उस का स्वामी वह वसीयती हो चुका है। यदि कोई वसीयत नहीं की थी तो माँ के सभी उत्तराधिकारी उस के संयुक्त रूप से स्वामी हो चुके हैं। कोई भी उत्तराधिकारी उस मकान का बँटवारा करवा कर अपने हिस्से का पृथक रूप से कब्जा प्राप्त करने का अधिकारी है। यदि आप के केवल एक भाई है और बहिन नहीं है तो माँ के केवल 3 उत्तराधिकारी आप, आप के पिता और भाई है। इस तरह आप को उस मकान के एक तिहाई हिस्से का स्वामित्व प्राप्त है।

आप चाहें तो तुरन्त उक्त मकान का विभाजन करने और आप के हि्स्से का पृथक कब्जा देने के लिए दीवानी वाद संस्थित कर सकते हैं। इसी वाद में आप यह आवेदन भी दे सकते हैं कि जब तक इस वाद का निर्णय न हो तब तक आप के पिता और भाई आप को उस मकान के उस परिसर से बेदखल न करें और न आप को सामान्य रूप से उस परिसर में रहने में किसी तरह की बाधा उत्पन्न करें। आप को इस वाद के निर्णय तक इस आशय की अस्थाई निषेधाज्ञा प्राप्त हो सकती है।

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