आप के प्रश्न सामयिक और वर्तमान समय में अत्यन्त प्रासंगिक हैं। लेकिन वे उलटे भी हैं। आप के सभी प्रश्नों में यह पूछा है कि सरकारी/अर्धकर्मचारी कर्मचारी/अध्यापक क्या क्या गतिविधियाँ कर सकते हैं? लेकिन इस तरह के प्रश्न सदैव असीम होते हैं और उन का उत्तर दिया जाना कभी भी संभव नहीं हो सकता। क्यों कि स्वयं गतिविधियों की कोई सीमा नहीं हो सकती। वे सदैव अपना प्रकार बदल कर सामने आती हैं। आप का प्रश्न यह हो सकता था कि सरकारी/अर्धकर्मचारी कर्मचारी/अध्यापक क्या क्या गतिविधियाँ नहीं कर सकते? तो उस का उत्तर देने में आसानी हो सकती थी। यहाँ आप के तमाम प्रश्नों के उत्तर उन्हें विलोम में परिवर्तित कर यहाँ प्रस्तुत किए जा रहे हैं।
ते हुए एक ही पत्नी रखेगा, और दूसरा निकाह नहीं करेगा। यदि वह एक पत्नी के होते हुए दूसरा निकाह करता है तो ऐसा करना सेवा अनुबंध का उल्लंघन और सेवा संबंधी दुराचरण होगा। सेवा अनुबंध के उल्लंघन का दुराचरण करने के लिए नियोजक उस के विरुद्ध अनुशासनिक कार्यवाही कर के उसे दंडित कर सकता है। एक नियोजक सब से बड़ा दंड जो अपने कर्मचारी को दे सकता है, वह सेवा अनुबंध समाप्त कर कर्मचारी को अपनी सेवा से हटाना हो सकता है जो इस दुराचरण के लिए भी उसे दिया जा सकता है। लेकिन इस का अर्थ यह कदापि नहीं है कि नियोजक ने उस की व्यक्तिगत विधि में, अथवा उस के किसी मौलिक, संवैधानिक अधिकार में अथवा उस के व्यक्तिगत जीवन में हस्तक्षेप किया है। इस का अर्थ कदापि यह भी नहीं है कि उस के द्वारा किया गया दूसरा विवाह अवैध है। उस के द्वारा किया गया दूसरा विवाह वैध उस की व्यक्तिगत विधि के अंतर्गत वैध होगा और वैध ही रहेगा। लेकिन नियोजक को इस बात का पूरा अधिकार है कि वह कर्मचारी द्वारा सेवा अनुबंध में किए गए उल्लंघन के दुराचरण के लिए उसे दंडित कर सके। ठीक यही स्थिति सभी कर्मचारियों की है। इसलिए उन्हें यह जानना चाहिए कि सेवा में आने पर उन्हों ने नियोजक की किन-किन शर्तों को स्वीकार किया है।
सभी सरकारी, अर्धसरकारी नियोजनों के लिए आचरण नियम बने हुए होते हैं जिन में यह उल्लेख होता है कि एक कर्मचारी नियोजन में रहते हुए कौन कौन से काम नहीं कर सकता। केन्द्र और राज्य सरकारों ने अपने कर्मचारियों लिए आचरण नियम पृथक पृथक बनाए हुए हैं। यहाँ तक कि अलग अलग विभागों और विशिष्ठ सेवाओँ के लिए आचरण नियम अलग अलग हैं और उन में उन के नियोजन के चरित्र को देखते हुए भिन्नताएँ भी हैं। प्रत्येक कर्मचारी को नियोजन प्रदान करने के समय दिए जाने वाले नियुक्ति पत्र में यह उल्लेख होता है कि वह आचरण नियमों का पालन करेगा। यदि उल्लेख न भी हो तो भी सरकारी और अर्धसरकारी संस्थाओं के नियोजन नियमों में यह अंकित होता है कि कर्मचारी आचरण नियमों का पालन करेगा और आचरण नियमों का उल्लंघन करना दुराचरण माना जाएगा जिस के लिए उस के विरुद्ध अनुशासनिक कार्यवाही की जा कर उसे दंडित किया जा सकता है। इस कारण प्रत्येक कर्मचारी को चाहे वह सरकारी/अर्ध सरकारी सेवा में हो या फिर किसी निजि सेवा में, उसे उन सभी नियमो का अध्ययन अवश्य कर लेना चाहिए जो उस पर प्रभावी हैं, जिस से वह जान सके कि उसे नियोजन में रहते हुए किस तरह का आचरण करना है और किस तरह का आचरण नहीं करना है।