सर्वोच्च न्यायालय भारत का अंतिम और उच्चतम न्यायिक निकाय है। यही कारण है कि उसे संविधान के अनुच्छेद 136 के अंतर्गत विशेष अनुमति से अपील सुनने का प्राधिकार दिया गया है। इस अनुच्छेद के उपबंधों के अंतर्गत सर्वोच्च न्यायालय भारत के राज्यक्षेत्र में किसी भी न्यायालय अथवा अधिकरण के किसी भी निर्णय, डिक्री, अवधारण, दंडादेश, अथवा आदेश के विरुद्ध अपील करने की विशेष अनुमति प्रदान कर सकता है। इस का केवल एक अपवाद यह है कि वह सशस्त्र सेनाओं से संबद्ध विधि के अधीन गठित न्यायालय अथवा अधिकरण के निर्णयों के विरुद्ध इस शक्ति का प्रयोग नहीं कर सकता है। सर्वोच्च न्यायालय की विशेष अनुमति प्रदान करने की यह शक्ति किसी संवैधानिक सीमा के अधीन नहीं है अपितु सर्वोच्च न्यायालय के विवेकाधीन है। इस उपबंध का मुख्य उद्देश्य अनुच्छेद 132,133 व 134 के अंतर्गत विहित नहीं किए गए मामलों में भी नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों का संरक्षण करना और व्यथित न्यायार्थी को उपाय प्रदान करना है।
अनुच्छेद 136 के अंतर्गत सर्वोच्च न्यायालय को प्रदान की गई शक्ति को न तो परिभाषित किया जा सकता है और न ही उस के स्वरूप को निर्धारित किया जा सकता है। इस शक्ति पर किसी प्रकार का कोई निर्बंध नहीं लगाया जा सकता है। लेकिन इतना होने पर भी सर्वोच्च न्यायालय अपनी इस शक्ति का उपयोग अत्यंत आवश्यक और अपवादित मामलों में ही कर सकता है जिस में न्याय के हनन का गंभीर प्रश्न उपस्थित होता है।