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हकत्याग विलेख का पंजीकृत होना आवश्यक है

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समस्या-

सुनील ने पुराना गांधी चौक, सतना मध्यप्रदेश से पूछा है-

पिताजी का देहांत 2019 में हो जाने बाद पिताजी की नजूल भुमि पर से 2 बहनों द्वारा हक त्याग का नौटराईज शपथपत्र देने के बाद 2020 में नजूल अधिकारी द्वारा बहनों का शपथपत्र पंजीकृत नहीं लिख कर के माँ, भाई व बहनों नाम भी वारिसाना नामांतरण आदेश पारित कर दिया गया। उसके बाद नजूल अधिकारी द्वारा एक पत्र दिया गया जिसमें कमी मुद्रांक शुल्क वसूली व बहनों के नाम विलोपित किये जाने हेतु पंजीयक कार्यालय  से सम्पर्क कर स्वत्व त्याग की कार्यवाही कराने का पत्र प्राप्त हुआ। क्या जैसे पिताजी की ऊक्त भुमि खसरा में नाम नहीं दर्ज है और किसी के द्वारा कहा जाता है कि ऊक्त भुमि खसरा में तालाब दर्ज है। मैं चाहता हूँ कि  जिला पंजीयक कार्यालय में बहनों से पिताजी की उक्त भुमि का वरिशाना नामांतरण आदेश व नजूल कार्यालय के ऊक्त पत्र के आधार पर जिला पंजीयक कार्यालय मे स्लाट बुक करके डीड बनवा कर रजिस्ट्रार के समक्ष  साईन करवा कर हक त्याग की रजिस्ट्री हो। या किस प्रकिया से बहनों से हक त्याग का रजिस्टर्ड पंजीयन कराएँ?

समाधान-

आपने अपनी बहनों से शपथ पत्र द्वारा हक त्याग के बारे में लिखा है। कोई भी शपथ पत्र केवल तथ्यों का कथन करता है उसके द्वारा हक त्याग संभव नहीं है। हक त्याग एक तरह का स्थावर संपति का हस्तान्तरण है जिसका पंजीयन आवश्यक है। इस कारण से आपके द्वारा जो शपथ पत्र प्रस्तुत किए गए उनका कोई विधिक मूल्य नहीं होने के कारण उत्तराधिकार के कानून के अनुसार पिताजी के सभी उत्तराधिकारियों के नाम नामान्तरण कर दिया गया है जो कि विधिक रूप से उचित है।

नजूल अधिकारी ने आपको सूचित किया है कि  कमी स्टाम्प शुल्क जमा करवा कर अपने हकत्याग पत्र को पंजीकृत कराएँ। लेकिन यदि आप उक्त कथित शपथ पत्र में कमी स्टाम्प ड्यूटी दे कर पंजीयन कराने का प्रयत्न करेंगे तो आप को दस गुना पेनल्टी भी देनी पड़ सकती है इस कारण नजूल अधिकारी द्वारा सुझाया गया उपाय आपके लिए ठीक नहीं है। इसमें आपको बहुत अधिक धन खर्च करना पड़ सकता है और प्रक्रिया भी लंबी है। यह तरीका तभी अपनाया जाना चाहिए जब कि बहने अब हकत्याग विलेख का पंजीकरण कराने को तैयार नहीं हों।

लेकिन यदि बहनें अभी भी हकत्याग विलेख निष्पादित करने को तैयार हैं तो आप नया हकत्याग विलेख निष्पादित करवा कर उन्हें उप पंजीयक कार्यालय ले जा कर उसे पंजीकृत करवा लें। जब आपको पंजीकृत विलेख मिल जाए तो वह मूल ही नजूल अधिकारी को प्रस्तुत कर उसके आधार पर नया नामान्तरण खोलने का आवेदन करें। तब पंजीकृत हकत्याग विलेख के आधार पर उनके हिस्से की भूमि का नामान्तरण उस व्यक्ति के नाम हो सकेगा जिसके हक में वे अपने स्वामित्व के हक का त्याग करती हैं। बेहतर है कि इस मामले में किसी स्थानीय वकील की मदद प्राप्त करें।  

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