तीसरा खंबा

मित्र और उस की पत्नी का घर बसाने का प्रयत्न करें

समस्या-

मेरे एक मित्र की शादी 2009 में हुई थी. पिछले वर्ष अप्रैल में उसकी पत्नी मायके गयी तो अभी तक नहीं आई। पत्नी को सास ससुर से शिकायत है। मेरा मित्र उसे अलग रखने को तैयार है लेकिन अब वह नहीं आरही है। ऐसे में मेरा मित्र विवाह विच्छेद के लिए कहता है तो उस की पत्नी उसे दहेज एक्ट में फँसाने को कहती है… मेरे मित्र को क्या करना चाहिए?

-मुकेश पाठक, रामपुर, उत्तरप्रदेश

समाधान-

प के मित्र की पत्नी को अपने सास ससुर से शिकायत है इसी कारण वह अपने मायके चली गयी है। आप का मित्र अब उसे अलग रखने को तैयार है। इस का सीधा सीधा अर्थ यही है कि कोई ठोस कारण है जिस के कारण पत्नी ने आप के मित्र का साथ छोड़ दिया है। अक्सर ऐसा होता है कि विवाह के उपरान्त एक लड़की ससुराल जाती है तो उस से वैसे ही व्यवहार की अपेक्षा की जाती है जैसा आज से 10-20-30 वर्ष पहले की स्त्रियाँ अपनी ससुराल में करती थीं। अक्सर उसे ताने सुनने को मिलते हैं। कहीं विवाह हो और वहाँ अच्छा दहेज आया हो तो उस का वर्णन परिवार में इस तरह से किया जाता है कि एक लड़की जो उस से कम दहेज लाई हो वह हीन भावना से ग्रसित हो जाती है। कुल मिला कर कुछ तो गड़बड़ है। इस गड़बड़ को दुरुस्त करने का प्रयास करना चाहिए। मुझे लगता है कि जब पत्नी के साथ सास-ससुर द्वारा सही व्यवहार नहीं किया गया तब पत्नी ने अपने पति का साथ चाहा और उसे पति का साथ नहीं मिला। यहीँ पति में पत्नी का विश्वास डिग गया है। पत्नी के वापस आ कर रहने से इन्कार कर देने पर सीधे तलाक की बात कर देने से पत्नी ने तुरन्त प्रतिक्रिया यही दी कि वह दहेज का मुकदमा कर देगी। उस के पास आखिर हथियार क्या है?

त्नी पति को छोड़ना नहीं चाहती लेकिन उस में बदलाव चाहती है। आप के मित्र को अपनी पत्नी को बदलाव का विश्वास दिलाना चाहिए था जब कि उस ने सीधे तलाक की बात कर दी। इस से आपसी विश्वास को गंभीर क्षति पहुँची है। आप के मित्र के पास तलाक का कोई कारण नहीं है और भारतीय समाज में जिस तरीके से विवाह होते हैं और जिस तरीके से एक पुत्रवधू के साथ व्यवहार किया जाता है धारा 498 ए तथा 406 दं.प्र.संहिता का हथियार सहज ही पत्नियों को उपलब्ध रहता है।

प के मित्र को चाहिए कि वह अपने व्यवहार से यह सिद्ध करे कि वह अपनी पत्नी का सही साथी साबित होगा। इस काम में आप मित्र होने के कारण अपने मित्र की सहायता कर सकते हैं। आप अपने मित्र और उस की पत्नी के बीच जो दूरियाँ उत्पन्न हो गई हैं उन्हें दूर करने का भी प्रयत्न कर सकते हैं। वास्तव में दोनों को काउंसलिंग की आवश्यकता है।  यह काम आप स्वयं भी कर सकते हैं और दोनों को काउंसलर उपलब्ध करवा कर भी यह काम कर सकते हैं। वैसे भी आप की मित्रता का धर्म भी यही है कि आप उन की गृहस्थी को बचाएँ।

र्तमान में आप के पति के पास तलाक के लिए कोई आधार नहीं है। वे यदि कोई कार्यवाही अदालत में करते हैं चाहे वह तलाक के लिए हो या फिर वैवाहिक संबंधों की पुनर्स्थापना की। उन पर धारा 498 ए और 406 के मुकदमे की तलवार तो लटकी ही रहेगी। आप को दोनों को मिलाने के लिए प्रयास करना चाहिेए।

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