समस्या-
बैतूल, मध्यप्रदेश से गजानन्द ने पूछा है-
एनजीओ क्या है? ये किस तरह कार्य करते हैं। इन्हें कैसे बनाया जा सकता है?
समाधान-
मतलब आम के आम और गुठलियों के दाम। एक जमाना था जब इस क्षेत्र में आमतौर पर वे ही लोग आते थे, जो खुद के संसाधनों या सिर्फ दान वगैरह के बूते समाजसेवा करना चाहते थे। अब एनजीओ रोजगार के बढ़िया साधन बन चुके हैं। कई बार कई दूसरी नौकरियों से भी अच्छे वेतनमान पर काम यहां मिल सकता है। किसी अंतरराष्ट्रीय पहचान वाले एनजीओ में बात बन जाए तो फिर बात ही क्या है।
एनजीओ क्षेत्र की व्यापकता के कारण अब एनजीओ प्रबंधन अत्यन्त महत्त्वपूर्ण काम बन चुका है। देश में कई संस्थान और विश्वविद्यालय हैं, जो बाकायदा एनजीओ प्रबंधन से जुड़े पाठ्यक्रम चला रहे हैं। 50 प्रतिशत अंकों के साथ कोई भी स्नातक एनजीओ प्रबंधन के पोस्ट ग्रेजुएट पाठ्यक्रम में दाखिला ले सकता है। अनुभवी एनजीओ प्रोफेशनल, सामाजिक कार्यकर्ता और स्वयंसेवियो के लिए अलग-अलग तरह के कोर्स उपलब्ध हैं। इन पाठ्यक्रमों में जिन विषयों के बारे में खासतौर से बताया जाता है, वे हैं—सामुदायिक विकास, सामाजिक उद्यमशीलता, वैश्विक मुद्दों की समझ, पर्यावरण शिक्षा, सूचना प्रबंधन, प्रशासनिक और वित्तीय प्रबंधन, नेतृत्वशीलता आदि। यों एनजीओ चलाने के लिए किसी खास शैक्षिक योग्यता की अनिवार्यता नहीं है, परंतु जब कार्यकुशलता, व्यवस्थित प्रबंधन की बात आती है, खासतौर से रोजगार की संभावनाओं के संदर्भ में, तो एनजीओ प्रबंधन से जुड़े ये कोर्स विशेष उपयोगी सिद्ध होते हैं।
समाज कल्याण में मास्टर डिग्री (एमएसडब्ल्यू), समाजविज्ञान या ग्रामीण प्रबंध में कोई भी मास्टर डिग्री एनजीओ क्षेत्र में उपयोगी है। समाज कल्याण में बीए, एमए या बीएसडब्ल्यू भी किए जा सकते हैं। एमफिल या पीएचडी भी की जा सकती है। भारतीय समाज कल्याण एवं व्यवसाय प्रबंधन संस्थान (कोलकाता), टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (मुंबई), दिल्ली विश्वविद्यालय, राजस्थान विश्वविद्यालय, जामिया मिल्लिया विश्वविद्यालय आदि डिप्लोमा और डिग्री के कई पाठय़क्रम संचालित कर रहे हैं।
एनजीओ प्रबंधन के कोर्सों के बाद ऑपरेशनल और एडवोकेसी, दोनों तरह के एनजीओ में काम के अच्छे अवसर हैं। ऑपरेशन एनजीओ में काम करना उनके लिए बेहतर है, जिनमें वित्त प्रबंधन, मीडिया प्रबंधन वगैरह की खास काबिलियत हो। एनजीओ एडवोकेसी का काम भी इससे कुछ अलग नहीं है, पर जो लोग सामाजिक कामों के लिए लोगों को प्रेरित करने का काम बढ़िया ढंग से संभाल सकते हैं, उनके लिए यह अच्छी जगह है। कुव्वत हो तो इस क्षेत्र में काम की तमाम संभावनाएं हैं।
एनजीओ में काम करने वालों को मौजूदा समय में वेतन के अच्छे मौके हैं। यहां वेतन का निर्धारण इस आधार पर होता है कि कार्य का क्षेत्र कैसा है, किस प्रकार का है और उसका स्तर क्या है। फिर भी अंतरराष्ट्रीय किस्म के गैर सरकारी संगठन बढ़िया वेतन दे सकते हैं। ये संगठन विश्व भ्रमण के खूब मौके उपलब्ध कराते हैं। फिलहाल काबिलियत के हिसाब से 10-15 हजार से लेकर एक लाख से ऊपर तक का वेतन एनजीओ क्षेत्र में मिल सकता है। वेतन के अलावा विभिन्न मुद्दों पर किसी एनजीओ से प्रोजेक्ट वर्क के तौर पर रिसर्च, पुस्तक लेखन, फील्ड वर्क संबंधी कुछ काम लेकर भी धन कमाने के यहां काफी अवसर हैं।
एनजीओ प्रबंधन का कोर्स कराने वाले प्रमुख संस्थान इस प्रकार हैं-
1. टाटा इंस्टीटय़ूट ऑफ सोशल साइंसेज, मुंबई
2. दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली
3. एमिटी इंस्टीट्यूट ऑफ एनजीओ मैनेजमेंट, नोएडा, उत्तर प्रदेश
4. मदुरै कामराज विश्वविद्यालय, मदुरै, तमिलनाडु
5 अन्नामलाई विश्वविद्यालय, अन्नामलाई नगर, तमिलनाडु
6. लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ, उत्तर प्रदेश
7. सेंटर ऑफ सोशल इनीशिएटिव एंड मैनेजमेंट, हैदराबाद
8. भारतीय उद्यमिता विकास संस्थान, गांधीनगर, गुजरात
9. जेवियर इंस्टीटय़ूट ऑफ सोशल साइंसेज, रांची
10. ग्रामीण प्रबंधन संस्थान, आणंद
एक समूह बना कर कोई भी एनजीओ बना सकता है। एनजीओ को इंडियन ट्रस्ट एक्ट (1982), पब्लिक ट्रस्ट एक्ट (1950), इंडियन कंपनीज एक्ट (1956-धारा- 25), रिलीजियस एंडोमेंट एक्ट (1863), चेरीटेबल एंड रिलीजियस ट्रस्ट एक्ट (1920), मुस्लिम वक्फ एक्ट (1923), वक्फ एक्ट (1954), पब्लिक वक्फ—एक्सटेंशन ऑफ लिमिटेशन एक्ट (1959) आदि किसी भी कानून के अंतर्गत पंजीकृत कराया जा सकता है। बिना लाभ-हानि के काम करने वाले एनजीओ कंपनी एक्ट धारा-25 के तहत ट्रस्ट, संस्था, सोसायटी या प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के रूप में पंजीकृत कराए जा सकते हैं। आप अपना एनजीओ बना कर काम करना चाहते हैं तो आप को दस-बारह लोगों के साथ मिल कर सोसायटीज एक्ट के अंतर्गत सोसायटी बना कर पंजीयक सोसायटीज के यहाँ उस का पंजीयन करवा सकते हैं।