तीसरा खंबा

खुद बदलें, पत्नी को उस के व्यक्तित्व के साथ अपनाने का प्रयत्न करें।

Husband-Wife-Disputesसमस्या-

अविनाश ने सागर , मध्यप्रदेश से समस्या भेजी है कि-

26/6/09 को शादी हुई। पत्नी शासकीय नौकरी में है। 3 माह बाद से आना बंद कर दिया । कई लोगों के फोन और एसएमएस आते हैं मोबाइल पर। मैंने समझाया ये ठीक नहीं है. नम्बर बदल लो या रिप्लाइ करना बंद कर दो, पर नहीं मानी। उस के घर वाले भी उस से नाराज हैं पर माँ और बहिन उस का साथ दे रहे हैं कहते है तलाक ले लो। भाई और मामा कहते हैं कि लड़की और उसकी माँ गलत है इंतेजार करो। लड़की तलाक चाहती है पैसा भी। मैं देने तैयार हूँ उसके बाद भी 4 साल निकल गया। ना आ रही है ना तलाक की कार्यवाही शुरू हो रही है अपना और मेरा समय बर्बाद कर रही है मैं क्या करूँ।

समाधान-

प ने एक शासकीय नौकरी कर रही स्त्री से विवाह किया। वह आत्मनिर्भर है और उस का अपना व्यक्तित्व है। आप का अपना व्यक्तित्व है। आप ने विवाह होते ही मात्र तीन माह में ही अपनी पत्नी के व्यक्तिगत जीवन को बदलने की अधिनायकवादी हिदायत दे दी। यदि यही बात आप की पत्नी आप से कहती कि आप या तो अपना नंबर बदल दें या फोन काल्स और एसएमएस का जवाब देना बन्द करें तो तो आप क्या करते? मान लेते?

प के मस्तिष्क में वही पुराना मूल्य है कि पत्नी को पति के हिसाब से जीवन जीना चाहिए। आप उसे अपना साथी या मित्र बनाने का प्रयत्न करने के स्थान पर अपनी संपत्ति की तरह समझने लगे हैं जो कन्यादान में आप को मिल गयी है। आप की पत्नी की माँ और बहन आप की पत्नी का साथ दे रही हैं तो ठीक दे रही हैं। वे चाहती हैं कि आप की पत्नी का अपना भी एक स्वतंत्र व्यक्तित्व बना रहे, जिसे वह स्वयं तय करे। पत्नी का मामा और पिता व्यवहारिक हैं कि बेटी अभी नादान है, अभी स्वतंत्र व्यक्तित्व की बात सोचती है। कुछ समय बाद खुद उसे इस मर्दवादी समाज के थपेड़े खा कर यह अहसास हो जाएगा कि विवाह विच्छेद कर के एक स्त्री के लिए जीवन जीना बहुत मुश्किल है और विवाह के उपरान्त पत्नी को पति की अधीनता स्वीकार करनी होती है। विचारों और व्यवहार की इस लड़ाई में आप की पत्नी, सास और साली का पक्ष प्रगतिशील है जब कि आप की, आप के ससुर और मामा ससुर की सोच वही पुराने ढर्रे की है। आप दुखी हो रहे हैं कि विवाह हो जाने पर भी पत्नी पास नहीं है।

प के दुख का निवारण यही है कि आप अपनी पत्नी को समझने की कोशिश करें। उसे अपने व्यक्तित्व को जीने दें, आप के साथ आ कर रहने से आप की पत्नी के व्यक्तित्व में पहले से खिल चुके फूल मुरझाएँ नहीं बल्कि और नए फूल खिलें। आप ने उसे अपने पुराने मित्रों से संपर्क न बनाए रखने की हिदायत दे कर गलती की है उसे स्वीकारें। आप को समझना चाहिए कि जैसे जैसे आप के साथ पत्नी की अन्तरंगता बढ़ती जाएगी फोन,एसएमएस स्वतः कम होते जाएंगे। पत्नी को उस के स्वतंत्र व्यक्तित्व के साथ स्वीकारें। हमारी राय तो यही है कि अपनी गलती स्वीकारें, पत्नी को साथ रहने को मनाएँ। पत्नी के पिता और मामा आप के साथ हैं, उस का मानना कठिन नहीं है। लेकिन केवल पत्नी को बदलने की चेष्टा न करें। आप का भी विवाह हुआ है आप खुद भी बदलें, पुराने विचारों को छोड़ कर नए जमाने के मूल्यों के हिसाब से खुद को ढालें, जिस की वास्तव में आवश्यकता है। पत्नी को संपत्ति समझने के स्थान पर अपना साथी बनाने का प्रयत्न करें।

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