तीसरा खंबा

स्वयं अपराध की साक्ष्य देने की हिम्मत जुटाएँ

रेखा ने दो प्रश्न एक साथ तीसरा खंबा को प्रेषित किए हैं –

1. मेरी सहेली स्कूल में अध्यापिका है, उस ने वहाँ के प्राचार्य को जो कि खुद शादीशुदा है एक अध्यापिका के साथ अश्लील हरकत करते हुए देखा और एक बार स्कूल की छत पर रखे गमले से मिस्त्री द्वारा मिट्टी निकालने के समय ब्लू फिल्म की सीड़ी मिली। मेरी सहेली ने स्कूल छोड़ दिया। लेकिन क्या हम उस प्राचार्य के विरुद्ध कोई कानूनी कार्यवाही कर सकते हैं? 
2. शेखर ने मीना के साथ शादीशुदा होते हुए भी 12 वर्ष तक शादी का झाँसा दे कर अवैध सम्बन्ध बनाए रखे। शेखर की पत्नी की मृत्यु हो गई। उस ने मीना को धोखा देते हुए दूसरी लड़की से विवाह कर लिया मीना के पास इन बातों का कोई सबूत नहीं है और न ही कोई गवाह है। यदि मीना कोई कानूनी कार्यवाही करना चाहे तो क्या वह कर सकती है? 

उत्तर –

रेखा जी,

किसी भी दुष्कृत्य या अपराध के लिए कार्यवाही पुलिस के समक्ष अथवा अदालत के समक्ष ही की जा सकती है। निश्चित रूप से सभी दुष्कृत्य करने
वाले लोग और अपराधी जब अपराध करते हैं तो उस के सबूत और गवाह अवश्य छोड़ते हैं। ऐसा नहीं है कि आप जिन घटनाओं की बात कर रही हैं उन के सबूत और गवाह उपलब्ध नहीं हों। पहले प्रकरण में एक गवाह तो आप की सहेली स्वयं है और दूसरे प्रकरण में मीना स्वयं एक महत्वपूर्ण गवाह है। यह दूसरी बात है कि दोनों ही मामलों में गवाह स्वयं को छुपाए रखना चाहता है क्यों कि उसे बदनामी का भय रहता है।
सामाजिक रूप से बदनामी होने या प्रताड़ित किए जाने का भय ही वह चीज है जिस के कारण इस तरह के दुष्कृत्य और अपराध पर्दे के पीछे बरसों चलते रहते हैं, आसपास वालों को उन की खबर भी रहती है, लेकिन उन के विरुद्ध कोई बोलना नहीं चाहता है। यही हमारी सामाजिक पृष्टभूमि है जो दुष्कर्मियों और अपराधियों को बचाए रखती है। इस सामाजिक पृष्ठभूमि को बदलने की जरूरत है। वह धीरे-धीरे बदल भी रही है। आज इस तरह के मामले पहले की अपेक्षा अधिक सामने आ रहे हैं, उन की शिकायत भी होती है, अन्वेषण भी और कुछ में दोषी को दंड भी मिलता है।
न्याय अंधा होता है, वह हमेशा सबूतों और गवाहों के आधार पर किसी को दोषी सिद्ध पाए जाने पर ही दंड देता है। इस कारण से यदि आप को या किसी भी अन्य व्यक्ति को कार्यवाही चाहिए तो उसे सब से पहले तो खुद साहसी होना होगा, सबूत एकत्र करने होंगे और खुद साक्षी बनना होगा। यदि इतना साहस है तो अन्य सबूत और साक्षी भी अवश्य ही मिल जाएंगे। लेकिन यह भी सही है कि बिना सबूत और गवाहों के किसी को दोषी ठहरा कर दंडित नहीं किया जा सकता है। जहाँ तक पहले मामले की बात है तो उस स्कूल के प्रबंधन को अवश्य ही वहाँ चल रही अवांछित गतिविधियों की सूचना दी जानी चाहिए, जिस से यदि प्रबंधन चाहे तो अपने अधीन चलने वाले स्कूल से ऐसी गतिविधियों का लोप कर सके।
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