समस्या-
-मनीष कुमार, इन्दौर, मध्यप्रदेश
समाधान-
आप ने अपने प्रश्न में यह नहीं बताया है कि आप की भूमि पर जो अतिक्रमण किया गया है वह किस तरह से किया गया है अर्थात भूखंड के अतिक्रमित भाग पर क्या स्थित है, कोई स्थाई निर्माण है अथवा अस्थाई निर्माण है? आप ने यह भी नहीं बताया है कि यह अतिक्रमण कब से है। किसी भी मामले में कानूनी कार्यवाही करने के लिए यह जानना आवश्यक है कि जिस त्रुटिपूर्ण कार्य के विरुद्ध आप अदालत में कार्यवाही करने जा रहे हैं वह कब हुआ था। मसलन कोई आप के साथ मारपीट कर दे और आप दो-तीन वर्ष बाद उस के विरुद्ध न्यायालय में शिकायत प्रस्तुत करें तो न्यायालय सब से पहले यही कहेगा कि आप इतने दिन कहाँ बैठे रहे? न्यायालय यह भी मान सकता है कि आप ने मारपीट करने वाले को माफ कर दिया। इसी तरह इस मामले में भी न्यायालय यह मान सकता है कि आप ने स्वयं ही अतिक्रमणकारी को अपनी भूमि पर कब्जा करने दिया। न्याय प्राप्त करने का एक सिद्धान्त यह है कि आप को जितना जल्दी हो न्यायालय के समक्ष अपने मामले को लाना चाहिए। इस के लिए एक कानून अवधि अधिनियम (Limitation Act 1963) बनाया गया है। जिस में यह निर्धारित है कि किस मामले में कितनी अवधि के अंदर आप कानूनी कार्यवाही न्यायालय के समक्ष संस्थित कर सकते हैं।
आप का मामला आप की भू्मि पर अतिक्रमी द्वारा अवैध रूप से कब्जा कर लेने तथा उस पर से उस अवैध कब्जे को हटवाने का है। यदि यह कब्जा किए हुए दो माह से कम समय हुआ है तो आप तुरंत अपने क्षेत्र के कार्यपालक मजिस्ट्रेट को धारा 145 दं.प्र.संहिता के अंतर्गत शिकायत कर सकते हैं और कब्जे को हटवा सकते हैं। लेकिन ऐसा लगता है कि उक्त अतिक्रमण अधिक समय से है और आप इस उपबंध के अंतर्गत कार्यवाही नहीं कर सकते।
आप का उक्त भूमि पर स्वामित्व है। आप अपनी भूमि पर किए गए कब्जे को हटवाने और अपनी भूमि पर पुनःकब्जा प्राप्त करने के लिए दीवानी न्यायालय में कब्जे का वाद प्रस्तुत कर सकते हैं। इस के लिए आप को कब्जा की गई भू्मि के वर्तमान बाजार मूल्य पर न्यायालय शुल्क अदा करना होगा। इस वाद के द्वारा आप अपनी भूमि पर कब्जा वापस प्राप्त कर सकते हैं। इस के लिए आप को तुरन्त किसी अनुभवी वकील से सलाह कर के वाद प्रस्तुत कर देना चाहिए।