तीसरा खंबा

अपने अधिकार बचाने और प्राप्त करने के लिए कानूनी कार्यवाही करें।

समस्या-

मेरी शादी को करीब 25 वर्ष हो गए हैं, मेरे पति ने शादी के बाद से ही मुझे मानसिक व शारीरिक प्रताड़ना देना शुरू कर दिया था। मेरा एक पुत्र है, जो अभी बेरोजगार है और पढ़ाई कर रहा है, जिसकी उम्र 24 वर्ष है। मेरे पति ने मेरी व मेरे पुत्र के भरण पोषण की जिम्मेदारी कभी नहीं उठाई। अब तक मेरे पुत्र की पढ़ाई के सारा खर्च मेरे मायके वालों ने ही उठाया है। जब भी खर्चा मांगा तो डरा धमका कर भाग दिया। अब तक मैं ये सब कुछ सहन करती रही, ताकि मैं व मेरे पुत्र सकुशल रहें। मेरे पति वर्तमान में ब्लॉक में ए.डी.ओ.(ए.जी.) के पद पर कार्यरत हैं। फिर कभी कोई ख़र्चा नहीं देते। मेरे पति को अपने पिता द्वारा कृषि भूमि व पुस्तैनी मकान मिले हैं जिन पर उनका कब्जा है। पिछले कुछ महीनों से मैं व मेरा पुत्र उसी पुस्तैनी मकान में रह रहे हैं, और कृषि भूमि पर फसल कर रहे हैं। पर मेरे पति मुझे व मेरे पुत्र को घर से निकाल कर उस फसल पर अपना हक जता रहे है। अब तक मेरे पुत्र की पढ़ाई का सारा खर्च मेरे मायके वालो ने ही उठाया है। मैं अपने पति से अपना व अपने पुत्र का ग़ुज़ारा भत्ता कैसे लूँ व दादालाई सम्पति पर अपना हक कैसे प्राप्त करें?

– पम्मी, नूरपुर,  ज़िला-बिजनौर,  उत्तर प्रदेश

समाधान-

आप ने अपने पुत्र की व अपनी सुरक्षा का ध्यान रखते हुए अधिकार प्राप्त करने के लिए आरंभ से कोई लड़ाई नहीं लड़ी, अब लड़ना चाहती हैं। आप को अपने पति से भरण पोषण प्राप्त करने का पूरा अधिकार है। उसके लिए आप को तुरन्त धारा 125 दंड प्रक्रिया संहिता में मासिक रूप से भरण-पोषण राशि प्राप्त करने के लिए न्यायालय में आवेदन प्रस्तुत करना चाहिए।

जिस कृषि भूमि पर आप और आप का पुत्र काबिज है और फसल बोयी है उस का कब्जा आप के पति आप व आपके पुत्र से जबरन प्राप्त नहीं कर सकते। इसी तरह जिस मकान में आप और आपका पुत्र निवास कर रहे हैं वहाँ से भी आप को जबरन नहीं हटाया जा सकता है। यदि आप को ऐसी कौई आशंका हो कि आप को वहाँ से जबरन हटा दिया जाएगा तो आप दीवानी न्यायालय में आप को जमीन व मकान के कब्जे से हटाए जाने के विरुद्ध स्थायी निषेधाज्ञा के लिए वाद प्रस्तुत कर सकते हैं और अपने कब्जे को बचा सकते हैं। तब आप के पति जबरन कब्जा प्राप्त करने से निरुद्ध हो जाएंगे और उन्हें कब्जा लेना है तो कानूनी उपाय करना होगा।

उत्तर प्रदेश में कृषि भूमि पर निजि विधि प्रभावी नहीं होने से आपको और आप के पुत्र को पति के जीवनकाल में कोई अधिकार प्राप्त नहीं है। लेकिन कृषि भूमि के अतिरिक्त जो भी संपत्ति आप के पति को उन के पिता से प्राप्त हुई है उस में आप के पुत्र का जन्म से अधिकार है और आप का पुत्र अपने हिस्से को अलग से प्राप्त करने हेतु बँटवारे का वाद संस्थित कर सकता है तथा वाद के अंतिम निपटारे तक संपत्ति के जिस हिस्से पर उसका कब्जा है उससे बेदखल नहीं किए जाने हेतु अस्थायी/ स्थायी निषेधाज्ञा भी प्राप्त कर सकता है।

यह सब काम करने के लिए आपको एक अच्छे वकील की जरूरत है। आप को चाहिए कि आप अपने क्षेत्र के अच्छे और अनुभवी वकील जो दीवानी और राजस्व विधि में वकालत करता हो उससे संपर्क करें और उसकी सहायता से अपने अधिकार प्राप्त करने के लिए विधिक कार्यवाहियाँ करें।

 

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