समस्या-
झाँसी, उत्तर प्रदेश से विजय ने पूछा है –
मेरी पत्नी ने मेरे और मेरे परिवार पर घरेलू हिंसा और धारा 498-क के मुकदमे किए जिन में हमारी जमानतें हो चुकी हैं। अब हम लोगों के बीच समझौता हो गया है। पत्नी विवाह विच्छेद चाहती है लेकिन कहती है कि तलाक का मुकदमा मैं करूँ। लेकिन पत्नी लिखित में कुछ भी नहीं दे रही है। विवाह विच्छेद का आवेदन प्रस्तुत करने के बाद यदि मेरी पत्नी पलट गई तो घरेलू हिंसा और 498-क के केस पर कोई असर तो नहीं होगा, मेरा केस कमजोर तो नहीं होगा। मेरे वकील ने कहा है कि कुछ नहीं होगा। मुझे क्या करना चाहिए?
समाधान-
आप के विरुद्ध आप की पत्नी ने जो मुकदमा किए हैं वे कैसे हैं, आप और आप के वकील बेहतर जानते हैं। इन मुकदमों में पति और उस के परिवार वालों के लिए सब से बड़ी चिन्ता गिरफ्तार होने की और जमानत होने तक जेल में रहने की होती है। उस परेशानी से आप गुजर चुके हैं। अब तो आपके विरुद्ध उन मुकदमों में साक्ष्य प्रस्तुत होगी और आप को बचाव का पूरा अवसर मिलेगा।
अब आप और आप की पत्नी के मध्य मौखिक सहमति हो गई कि आप विवाह विच्छेद की अर्जी लगाएँ वह विवाह विच्छेद हो जाने देगी। मौखिक समझौते का कोई महत्व न होते हुए भी यह प्रकट हो चुका है कि आप की पत्नी आप के साथ वैवाहिक संबंध नहीं रखना चाहती। ऐसी स्थिति में आप और आप के वकील समझते हैं कि आप के पास विवाह विच्छेद के पर्याप्त आधार हैं तो आप को विवाह विच्छेद का आवेदन करना चाहिए। तब आप अपनी पत्नी के समझौते से हट जाने पर भी आप विवाह विच्छेद के मुकदमे में सफलता प्राप्त कर सकते हैं। उस पर आप की पत्नी की सहमति या उस से मुकर जाने का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। वैसे भी विवाह विच्छेद के मुकदमे का आप के विरुद्ध चल रहे धारा 498-क व घरेलू हिंसा के मुकदमों पर नहीं पड़ेगा, यदि आप अपनी प्रतिरक्षा और विवाह विच्छेद के मुकदमों में कोई ऐसे तथ्य नहीं रखते जो एक दूसरे के विपरीत हो। यदि आप के वकील कहते हैं कि कोई फर्क नहीं पड़ेगा, तो वे जानते हैं कि वे आप के मुकदमे में प्रतिरक्षा कर सकते हैं। आप को उन पर भरोसा नहीं हो रहा है तो आप उन से समझने की कोशिश करें कि क्यों नहीं फर्क पड़ेगा। आप के वकील साहब को भी आप को यह समझा कर बताना चाहिए कि क्यों फर्क नहीं पड़ेगा। तब आप अपने वकील पर अधिक अच्छी तरह भरोसा कर सकेंगे।