रमेश जी ने पूछा है –
मैंने 30 साल 8 महीने की उम्र में शादी की थीं, अब 36 साल 4 महीने की उम्र हो चुकी हैं। मेरी पत्नी ने मुझे बगैर बताये ही जानबूझ दो बार बच्चा खराब कर दिया। फिर बड़ी तपस्या के बाद बच्चा हुआ है। आज बच्चा दो साल और लगभग दो महीने का है। मेरा इतना कष्टमय वैवाहिक जीवन रहा है। इसलिए बच्चे को देखने को मन में बहुत तड़प होती है। अगर मुझे बच्चा मिल जाता है तो मुझे जीवन जीने का मकसद मिल जायेगा। किसी ने बताया है कि- बच्चे की कस्टडी का केस डाल दो अगर संरक्षण नहीं मिला तो कम से कम देखने/मिलने का आदेश तो मिल ही जायेगा, इससे डिप्रेशन की बीमारी से मुक्ति मिल जाएगी और कम से कम बच्चा मुझे पहचाने लग जायेगा। मन में दुबारा से कार्य करने की इच्छा जाग्रत होगी और भविष्य में संरक्षण प्राप्त करने में उपरोक्त फैक्टर काम आयेंगे। वकील की फ़ीस के लिए पैसे नहीं है। क्या मैं स्वंय एक पत्र लिखकर रजिस्टर्ड ए.डी/स्पीड पोस्ट और यू.पी.सी से नोटिस के रूप में भेज दूँ? वैसे मेरी पत्नी और मैं अलग अलग न्याय क्षेत्र में निवास करते हैं तब बच्चे की कस्टडी के केस के लिए कहाँ से सरकारी (विधिक सहायता के अंतर्गत नियुक्त) वकील लेना होगा?
उत्तर –
रमेश जी,
आप की पत्नी ने दो बार आप को बताए बिना बच्चा खराब कर दिया तो उस में आप का दोष भी कम नहीं है। संतान केवल पुरुष की नहीं होती। वह सब से पहले तो उस की माँ की होती है। हमार प्राचीन दर्शन कहता है कि वह माता-पिता का पुनर्जन्म होती है। अब यदि माँ के पेट में संतान का आविर्भाव स्वयं माँ की अनिच्छा से हो तो यही होगा। आप को संतान चाहिए थी तो पहले उस की माँ से सहमति बना लेनी थी। फिर ऐसा कैसे हो सकता था। खैर! अब जो संतान हुई है उस से मिलने का आप को पूरा अधिकार है। कस्टड़ी तो आप को अभी नहीं ही मिल सकेगी। आप कस्टड़ी और संतान से मिलने के लिए आवेदन परिवार न्यायालय में प्रस्तुत कर सकते हैं। यह आवेदन उस न्यायालय में कर सकेंगे जिस के न्यायक्षेत्र में संतान निवास कर रही है, इसलिए विधिक सहायता के लिए उसी न्यायालय में आवेदन करना उचित होगा।
कस्टड़ी के लिए नोटिस आप स्वयं भेज सकते हैं। पिता होने के कारण उस से मिलने का आप को पूरा अधिकार है। इस नोटिस या रजिस्टर्ड पत्र को किसी को दिखाने की आवश्यकता भी नहीं है। उस में आप पुरानी गाथाएँ लिखने के स्थान पर सिर्फ इतना लिख दें कि मैं अपनी संतान से मिलना चाहता हूँ, और निरंतर एक अंतराल के बाद उस से मिलना चाहता
हूँ। आप समय निश्चित कर के बताएँ कि कौन कौन से समय उचित होंगे। यदि आपने दो सप्ताह में समय निश्चित कर के न बताए तो मुझे इस के लिए न्यायालय में जाना होगा। फिर आप सीधे परिवार न्यायालय न जा कर विधिक सेवा प्राधिकरण की स्थाई लोक अदालत में साधारण प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर दें। न्यायालय वहाँ आप की पत्नी को बुलाएगा उस के न आने पर आप का आगे के लिए मार्गदर्शन भी करेगा।
हूँ। आप समय निश्चित कर के बताएँ कि कौन कौन से समय उचित होंगे। यदि आपने दो सप्ताह में समय निश्चित कर के न बताए तो मुझे इस के लिए न्यायालय में जाना होगा। फिर आप सीधे परिवार न्यायालय न जा कर विधिक सेवा प्राधिकरण की स्थाई लोक अदालत में साधारण प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर दें। न्यायालय वहाँ आप की पत्नी को बुलाएगा उस के न आने पर आप का आगे के लिए मार्गदर्शन भी करेगा।
आप चाहें तो आज-कल में भी अपनी संतान से मिल सकते हैं। आप अपनी पत्नी को एसएमएस करें कि आज होली के दिन आप अपनी संतान को मिलना चाहते हैं, वह समय और स्थान बताए। यदि वह दो घंटे में एसएमएस का उत्तर नहीं देगी आप उस से किसी निश्चित समय पर देखने आ रहे हैं। आप एसएमएस में दर्शाए समय पर वहाँ जाएँ, हो सके तो संतान के लिए कोई तोहफा अवश्य ले जाएँ। मुझे विश्वास है कि आप की पत्नी आप को आप की संतान से मिलवा देगी। यदि नहीं मिलवाती है तो आप कुछ देर वहाँ सत्याग्रह कर सकते हैं। लेकिन कुछ ही देर, ऐसा न हो कि सत्याग्रह दुराग्रह में बदल जाए। फिर भी आप संतान से नहीं मिल पाते हैं तो निकट के पुलिस स्टेशन पर लिखित में सूचना दें कि आप अपनी संतान से मिलने आए थे लेकिन पत्नी ने मिलने नहीं दिया, इस सूचना की प्राप्ति स्वीकृति पुलिस से प्राप्त कर लें, बाद में काम आएगी।