तीसरा खंबा बहुत समय से पाठकों की कानूनी समस्याओं के समाधान और उपाय बताने का कार्य कर रहा है। लेकिन तीसरा खंबा को अनेक प्रश्न ऐसे प्राप्त होते हैं जिन में अत्यन्त सामान्य जानकारी चाही गई होती है। ऐसी सामान्य जानकारियाँ बहुत थोड़े से प्रयत्न से इंटरनेट का उपयोग करने वाले खुद प्राप्त कर सकते हैं या फिर अपने आसपास पूछ कर भी काम चला सकते हैं।
तीसरा खंबा के एक पाठक श्री विनोद कुमावत हैं जो राजस्थान के गुढ़ा गौरजी ग्राम के निवासी हैं। इन की कृषि भूमि संयुक्त थी जिस के कारण आपस में झगड़े होते रहते थे। मेरे सुझाव पर इन्हों ने विभाजन का वाद प्रस्तुत किया जो डिक्री हो गया। इन्हें इन की विभाजित भूमि नाप सहित प्राप्त हो गई। इस बीच हर माह कम से कम दो सामान्य प्रश्न ये तीसरा खंबा से पूछते रहे। तीसरा खंबा ने कुछ का उत्तर दिया और कुछ का नहीं दिया। अभी भी इन्हों ने एक प्रश्न मुझ से पूछा है कि कृषि भूमि का नामान्तरण होने के कितने समय बाद नामान्तरण इंटरनेट पर दर्ज होता है? अब यह प्रश्न केवल अपना खाता की कार्यपद्धति से संबंधित है। इस का कोई कानूनी महत्व नहीं है। यह तो अपना खाता संचालित करने वाले बता सकते हैं या फिर इन की तहसील के पटवारी या तहसीदार का स्टाफ अधिक अच्छी तरह बता सकता है। तीसरा खंबा से कानूनी सुविधा प्राप्त कर के उस से लाभान्वित होने वाला व्यक्ति जब इस तरह के प्रश्न पूछता है तो लगता है कि यह इस सुविधा का दुरुपयोग कर रहा है। हम इस तरह के प्रश्नों का कोई उत्तर नहीं देते। कृपया पाठक इस तरह के प्रश्न तीसरा खंबा को प्रेषित न करें।
अब जोधपुर राजस्थान से श्री अशोक माली ने पूछा है कि मेरे दादा जी 2001 में चल बसे लेकिन बेटियों ने संपत्ति के विभाजन के लिए वाद किया है संपत्ति पैतृक है, क्या करना चाहिए?
भाई बेटियों को भी पैतृक संपत्ति में अधिकार प्राप्त है, वे उन के अधिकार के लिए मुकदमा तो करेंगी। वे अपना अधिकार भी प्राप्त करेंगी। आप अदालत में जाइए और कानून के अनुसार बँटवारा करने में सहयोग करिए। आप को अपना हिस्सा मिल जाएगा। इन की जिज्ञासा में कोई कानूनी प्रश्न या समस्या नहीं थी। लेकिन इन्हों ने इस प्रश्न को भी यहाँ डाल दिया।
एक और पाठक श्री अरविंद भोपाल मध्यप्रदेश के हैं ये पूछते हैं कि आपसी सहमति से तलाक हो गया है। फिर भी पत्नी कोई मुकदमा कर सकती है क्या?
अब इन्हें क्या जवाब दिया जाए। इन का पत्नी से तलाक हुआ है, पति-पत्नी का संबंध समाप्त हो चुका है। जिस दिन से यह संबंध समाप्त हुआ है उस दिन से पति-पत्नी के रूप में दोनों के एक दूसरे के प्रति अधिकार और दायित्व समाप्त हो चुके हैं। लेकिन उस तिथि के पूर्व जो दायित्व और अधिकार थे वे तो समाप्त नहीं हुए हैं। उन से संबंधित कोई भी मुकदमा पति या पत्नी दोनों ही कर सकते हैं। फिर न्यायालय में कोई भी आवेदन या वाद प्रस्तुत करने पर तो कोई पाबंदी नहीं है। यदि वह आवेदन या वाद निराधार होगा तो निरस्त हो जाएगा। इस प्रश्न का कोई उत्तर नहीं है कि फलाँ व्यक्ति मुकदमा तो न कर देगा?
हमारा पाठकों से इतना निवेदन है कि तीसरा खंबा न तो कोई संस्था है और न ही कई व्यक्तियों का संयुक्त प्रयास। यह मात्र एक वकील और एक तकनीकीकर्मी कुल दो मित्रों का निजि प्रयास है। तीसरा खंबा का प्रयास है कि प्रतिदिन कम से कम एक प्रश्न का उत्तर अवश्य दिया जाए।
इस कारण हम बहुत से प्रश्नों का उत्तर नहीं देते। हमारा प्रयास रहता है कि रोज जो उत्तर दिया जाता है वह ऐसा हो जिस से प्रश्नकर्ता ही नहीं अन्य पाठक भी लाभान्वित हों। पाठकों से भी हम अपेक्षा करते हैं कि वे ऐसे ही प्रश्न हम से पूछें जिस में कोई कानूनी समस्या हो और उस का उपाय पूछा गया हो।
आशा है पाठकों का सहयोग तीसरा खंबा को प्राप्त होता रहेगा।
-दिनेशराय द्विवेदी