समस्या-
विजय कुमार ने भोपाल, मध्य प्रदेश से पूछा है-
मेरी शादी को 1 साल 8 माह हो चुके हैं। शादी के कुछ महीने तक सब कुछ ठीक चल रहा था। मेरी पत्नी की माँ जो कांग्रेस की नेतागिरी करती है तथा उसका कैरेक्टर भी ढीला है उसका फोन मेरी छोटी बहन के मोबाइल पर आया। तब वो मेरी पत्नी को मायके आने का बोल रही थी। उस वक़्त मेरी बहिन को डिलीवरी भी होने वाली थी तथा गणेश स्थापना भी थी। तो मेरी बहिन ने मना कर दिया की भाभी को अभी नहीं भेज सकती। बस तभी से उसकी माँ हम लोगो को उल्टा सीधा बोलने लगी कि हम झूठ बोलते हैं। जब कि सबसे बड़ा झूठ तो उन लोगों ने बोला। शादी से पहले मेरी पत्नी 4- 4 लड़कों से सेट थी। 1 -2 बार तो प्रेग्नेंट भी हो चुकी थी। जिस का मुझे शादी के बाद पता चला। फिर भी मैं ने उस को अपनाया हुआ है कि वो उसका भूतकाल था। लेकिन मेरी पत्नी भी उसकी मम्मी के इशारे पर चलती जब उसकी मम्मी उस को वहाँ बुलाती है। वो कोई ना कोई नाटक करके वहाँ चली जाती है। मैं वहाँ इसलिए नहीं जाने देना चाहता कि वहा उसका चक्कर था। अभी 2 महीने से वो अपने घर है। मैं उसको लेने ही नहीं गया। वह वहाँ पर पड़ौसियों से लड़ झगड़ रही है तथा इल्ज़ाम लगा रही है कि उन पड़ौसियों के कारण उसका घर खराब हो रहा है। अभी मेरा एक्सिडेंट हो गया तब भी नही आई। मेरे मम्मी पापा के खाने में कुछ मिलाती है जिस के कारण उन के शरीर में खुजली और घाव हो गये हैं, जो अभी तक ठीक नहीं हो पा रहे हैं। चोरी चोरी मोबाइल पर दरवाजा बंद कर के बात करती है। जिस की वजह से उसका मोबाइल छिन गया। उस के घर वाले सब के सब डिफॉल्टर हैं। 3 छोटे भाई हैं जो चोरियाँ करते हैं। हम लोग बहुत परेशान हैं। उसकी नानी और माँ लगातार उस के कान भरते रहते हैं वो वहाँ रहती है तो मुझे बहुत शक होता है। कहीं अपने पुराने यार दोस्तों के साथ कुछ ग़लत तो नहीं कर रही है। मैं लेने गया भी उस को पिछले इतवार पर। वो अपनी बहिन को भी साथ रखने का कहने लगी। जो मुझे पसंद नहीं इसलिए वहीं छोड़ दिया। उसका रेकॉर्ड शादी से पहले बहुत खराब था। मैं उस को डीवोर्स भी नहीं दे सकता क्यों कि एक छोटी बेटी है मेरी। आप कुछ राय दीजिए ऐसे में मैं क्या करूँ।
समाधान-
आप की समस्या का 90 प्रतिशत कारण तो आप का खुद का शक है। आप ने यहाँ अपनी पत्नी के बारे में जो बातें लिखी हैं उन्हें पढ़ने के बाद तो कोई भी पत्नी कभी भी अपने पति के साथ रहने को तैयार ही नहीं होगी। आप ने यहाँ जितनी बातें लिखी हैं उन का आप की पत्नी के पास प्रमाण हो कि ये सब आपने ही लिखी हैं तो उस के पास आप से विवाह विच्छेद का एक मजबूत कारण भी उपलब्ध हो जाएगा। उस से आप की पत्नी आप से विवाह विच्छेद भी प्राप्त कर सकती है। आप से खुद के लिए और बेटी के लिए अच्छा खासा भरण पोषण भत्ता भी ले सकती है और बेटी भी पूरे जीवन उसी के संरक्षा में रहेगी।
आप ने अपनी पत्नी के बारे में जितनी बातें यहाँ प्रकट की हैं। मुझे लगता है वे सभी शक के आधार पर हैं। उन में से एक भी बात को प्रमाणित करना आप के लिए संभव नहीं है। आप बार बार अपनी पत्नी के उस भूतकाल को याद करते हैं जो आप को कहीं से पता लग गया है या जिन के बारे में आप को सन्देह है। यदि यह सन्देह सच भी हो तो अभी तक ऐसी कोई बात सामने नहीं आई है जिस से पत्नी ने विवाह के उपरान्त गलत आचरण किया हो। आप को उस का जो भी भूतकाल पता लगा है उसे पूरी तरह भुला दीजिए। सिर्फ इतना याद रखिए कि उस का वर्तमान क्या है।
माँ किसी भी काम से अपनी बेटी को बुलाने के लिए फोन कर सकती है। हो सकता है उसे अपनी बेटी की जरूरत रही हो। लेकिन बहिन ने अधिकार पूर्वक मना कर दिया। बात करने का यह कोई तरीका नहीं है। बहिन को बताना चाहिए था कि अब उन की पुत्री के दो घर हैं उसे दोनों के प्रति अपने कर्तव्य का निर्वाह करना है। यहाँ उसे डिलीवरी होने वाली है और उस की माँ के बजाय ननद को अधिक आवश्यकता है। यहाँ उसे संभालने वाला कोई नहीं है। फिर भी यदि माँ को बहुत जरूरी काम है तो वह अपनी भाभी को जरूर माँ के पास जाने को कहेगी। फिर उस की खुद की मर्जी। उस के बाद आप और आप की बहिन आप की पत्नी को समझाते कि मायके में कोई जरूरी काम नहीं है और यहाँ तुम्हारी सख्त जरूरत है। होना तो यह चाहिए कि तुम यहाँ रहो। फिर भी यदि लगता है कि वहाँ तुम्हारी जरूरत है तो चली जाओ। हो सकता है आप की पत्नी खुद अपनी माँ को मना कर देती। हो सकता है वह चली जाती, लेकिन शायद इस वायदे के साथ ही कि यहाँ जरूरत होते ही चली आएगी। यदि माँ को वह स्वयं मना कर देती तो कितना अच्छा होता।
वस्तुतः आप, आप की पत्नी और उस के मायके वाले सब एक दूसरे को सन्देह की निगाह से देखते हैं। एक दूसरे के बारे में बहुत सी बातें संदेह के आधार पर पाल रखी हैं। आप को चाहिए कि आप किसी भी प्रकार से सारे सन्देहों को दूर करें। अपनी पत्नी पर विश्वास जताएँ और उसे अपने पर विश्वास करने योग्य बनाएँ। गृहस्थी परस्पर विश्वास से मजबूत होती है। शक और सन्देह उसे लगातार कमजोर बनाते हैं।