तीसरा खंबा

तलाक के अन्तिम होने के पहले सगाई किसी भी प्रकार उचित नहीं है।

समस्या-

गुरुमुख सिंह ने आगरा उत्तर प्रदेश से समस्या भेजी है कि-


क्या आपसी रजामंदी के तलाक मैं तलाक होने से पहले सगाई की जा सकती है?   हमें तलाक के लिए अर्जी दाखिल किये हुए करीब तीन महीने हो गए हैं और करीब तीन महीने बाद फिर हमारा तलाक होगा।


समाधान-

ह सही है कि सगाई के बारे में कोई कानूनी प्रावधान नहीं है। लेकिन हमारी राय में सगाई भी वही कर सकता है जो कि विवाह करने की योग्यता रखता हो। जब तक तलाक की डिक्री पारित न हो जाए। यहाँ तक कि उस की अपील का समय व्यतीत न हो जाए तब तक सगाई भी नहीं करना चाहिए। क्यों कि सगाई विवाह करने का वादा है, लेकिन यह तभी किया जा सकता है जब विवाह की योग्यता हासिल हो जाए।

आप कल्पना करें कि आप की पत्नी तीन माह बाद जब न्यायालय में बयान होने वाले हैं उस दिन तलाक की सहमति से इन्कार कर दे। वह न्यायालय से कहे कि मुझे सोचने के लिए दो माह का अतिरिक्त समय चाहिए और न्यायालय समय दे दे। क्यों कि तीन माह बाद भी डिक्री तो तभी पारित हो सकेगी जब पति-पत्नी दोनों के बीच तलाक के मामले में सहमति बनी रहती है। ऐसी स्थिति जब आप सगाई कर लेते हैं तो जिस स्त्री से आप सगाई करते हैं उस स्त्री की सामाजिक स्थिति बहुत खराब हो जाएगी। यदि किसी कारण से तलाक में बाधा हो गयी और आप उस स्त्री से विवाह नहीं कर पाते हैं तो वह इस के लिए आप को दोष दे सकती है कि आप की वजह से उसे यह सब नुकसान उठाना पड़ा है। इस के लिए वह आप से क्षतिपूर्ति की मांग कर सकती है और इस के लिए वह वाद भी संस्थित कर सकती है और अपराधिक मुकदमा भी कायम हो सकता है।

हमारा अपना कहना यह है कि सगाई की रस्म अपने आप में गलत है। यदि स्त्री-पुरुष के बीच यह सहमति हो गयी है कि उन्हें विवाह कर लेना चाहिए। वे सारी बातों और शर्तों पर सहमत हो चुके हैं तो फिर सगाई बेमानी है सीधे विवाह ही कर लेना चाहिए। अब जब धीरे धीरे स्थितियाँ समाज में ऐसी बनने लगी हैं कि स्त्री-पुरुष विवाह के स्थान पर लिव इन पसंद करते हैं और इस तरह के लोगों की संख्या बढ़ रही है, सगाई की रस्म निरर्थक हो चुकी है उसे समाप्त हो जाना चाहिए। यह रस्म सुविधा पैदा करने के स्थान पर संकट अधिक उत्पन्न करती है। अनेक विवाहों में तो वह एकदम औपचारिक रस्म हो कर रह गयी है। विवाह की अंतिम रीति होने के केवल कुछ घंटों या एक दिन पहले होने लगी है। इस कारण इस प्रथा का अंत हो जाना चाहिए।

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