तीसरा खंबा

नौकरशाही से कैसे निपटें?

समस्या-

बाली, राजस्थान से अशोक पुनमिया ने पूछा है –

मैंने एक पाक्षिक समाचार पत्र निकालने हेतु, अपने कसबे के एसडीएम कार्यालय में 1 जनवरी 2013 को आवेदन प्रस्तुत किया था, जिसे एसडीएम कार्यालय ने ‘पुलिस वेरिफिकेशन’ करवा कर दिल्ली स्थित भारत के समाचार पत्र पंजीयक के कार्यालय में भेजना था।  मेरा आवेदन एसडीएम कार्यालय में ही धूल फाँकता रहा।  मैं लगभग एक महीने 28 दिन बाद (28 फरवरी को) एसडीएम कार्यालय पहुँचा और पूछताछ की तो क्लर्क द्वारा बताया गया कि ‘साहब’ नहीं थे, अतः काम नहीं हो पाया।  मैंने मिन्नतें करके हाथों हाथ अपना आवेदन लिया और पुलिस थाने पहुँच कर ‘पुलिस वेरिफिकाशन’ हेतु दिया।  लगभग सप्ताह भर बाद (7 मार्च को) ‘पुलिस वेरिफिकाशन’ करवा कर वापस हाथों हाथ आवेदन लाकर एसडीएम कार्यालय में दिया और पूछा कि अब आप इस आवेदन को दिल्ली स्थित समाचार पत्र पंजीयक कार्यालय में कब भेज रहे हैं? तो बताया कि बस कल ही भेज देंगे।  सप्ताह भर बाद मैं पुनः एसडीएम कोर्ट गया और पूछा कि क्या मेरा आवेदन दिल्ली भेज दिया गया है? तो मुझे फिर बताया गया कि ‘साहब’ नहीं हैं।  अतः काम नहीं हो पाया।  जब कि असलियत ये है कि एसडीएम महोदय लम्बी छुट्टी पर थे ही नहीं। आज लगभग दो महीने अठारह दिनों के बाद भी 18 मार्च 2013 तक मेरा आवेदन एसडीएम कोर्ट में धूल फाँक रहा है और मेरा काम आज-कल पर लटकाया जा रहा है। क्या एक साधारण से आवेदन को इतने दिनों तक एसडीएम कोर्ट में लटकाया रखा जा सकता है? क्या इस सम्बन्ध में मेरा कोई अधिकार बनता है? क्या ऐसे आवेदनों पर कार्यवाई करने की एसडीएम कोर्ट की कोई समय सीमा तय है? मुझे क्या करना चाहिए?

समाधान-

press-sensorप की इस समस्या का कानून और न्यायालय से कोई संबंध नहीं है।  यह एक सीधे सीधे नौकरशाही से संबंधित समस्या है। आप एक पाक्षिक अखबार निकालना चाहते हैं। एक पत्रकार के रूप में अपना काम करना चाहते हैं। मीडिया को भारत में लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है। यदि लोकतंत्र का यह चौथा स्तंभ इतना कमजोर हुआ तो लोकतंत्र कैसे चलेगा? आप को ब्यूरोक्रेट्स से निवेदन करने के स्थान पर अधिकार पूर्वक बात करनी होगी। आप दो तीन बार एसडीएम के कार्यालय में गए लेकिन एक बार भी एसडीएम से मिल कर नहीं आए, कम से कम आपने लिखा नहीं है कि आप एसडीएम से एक बार भी मिले। होना तो ये चाहिए था कि आप आवेदन बाबू को पकड़ाने के बजाए सीधे एसडीएम को देते। उस के स्मरण में यह बात होती।  केवल पत्रकारों को ही नहीं सभी नागरिकों को नौकरशाहों से अधिकार पूर्वक बात करनी चाहिए, तभी वे काम करते हैं। जहाँ तक समाचार पत्र पंजीयक के निर्देशों का प्रश्न है तो यह निर्धारित है कि आम तौर पर एसडीएम के कार्यालय में आवेदन प्रस्तुत करने के बाद एक माह में पंजीयक के कार्यालय में पहुँच जाना चाहिए।

प आज ही जाएँ और बाबू से मिलने के स्थान पर सीधे एसडीएम से मिलें। उसे कहें कि उन के कार्यालय में आप का आवेदन ढाई माह से पड़ा है पुलिस वैरीफिकेशन भी आप को दस्ती करवा कर लाना पड़ा। यदि पत्रकारों के काम ही ऐसे देरी से होंगे तो बाकी जनता का क्या होगा। सांसद और विधायकों को तो जनप्रतिनिधि होने के लिए चुनाव जीतने होते हैं लेकिन पत्रकार तो अपने पेशे से जनप्रतिनिधि होता है। आप को एसडीएम और सभी सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों से पत्रकार की हैसियत से बात करनी चाहिए।   आप एसडीएम से इस तरह बात करेंगे तो आप के दफ्तर में रहते रहते आप का आवेदन समाचार पत्र पंजीयक को प्रेषित किया जा सकता है। इस से भी काम न बने तो अगले ही दिन सूचना के अधिकार के अंतर्गत एक आवेदन प्रस्तुत कीजिए कि आप ने जो आवेदन अमुक तिथि को पेश किया था वह ढाई माह होने के बाद भी समाचार पत्र पंजीयक को नहीं भेजा गया है। जब कि उसे एक माह में समाचार पत्र पंजीयक के कार्यालय में पहुँच जाना चाहिए था। उसे प्रेषित करने में देरी क्यों की जा रही है? यह आवेदन देने के उपरान्त तो आप का काम तुरंत होना चाहिए। आप इस संबंध में जिला कलेक्टर, मुख्य सचिव, मुख्यमंत्री और समाचार पत्र पंजीयक को अपनी शिकायत भी प्रेषित कर सकते हैं।

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